गणेशोत्सव खत्म होते ही 24 सितंबर से पितृपक्ष शुरू हो रहा है । भाद्रपद के शुक्लपक्ष पूर्णिमा से पितृपक्ष शुरू होता है और यह अश्विन कृष्णपक्ष अमावस्या तक रहता है। ऐसी मान्यता है कि इन 16 दिनों के दौरान हमारे पूर्वज धरती पर उतरते हैं और पिंडदान को स्वीकार करते हैं।
पौराणिक मान्यता है कि पितृपक्ष में पूर्वजों को याद कर किया जाने वाला पिंडदान सीधे उन तक पहुंचता है और उन्हें सीधे स्वर्ग तक ले जाता है। माता-पिता और पुरखों की मृत्यु के बाद उनकी तृप्ति के लिए श्रद्धापूर्वक किए जाने वाले इसी कर्मकांड को कहा जाता है पितृ श्राद्ध।
क्या करे पितृपक्ष के दौरान
पितृपक्ष के दौरान भूलकर भी न करें ये काम
पितृपक्ष के दौरान तेल, साबुन, सुगंधित पदार्थ का इस्तेमाल बिल्कुल भी न करें. किसी तरह की नवीन चीजें न खरीदें, सादा भोजन करें और जहां तक हो सके नए कपड़े न पहनें. किसी की बुराई न करें. पितृपक्ष के दौरान कोई शुभ कार्य जैसे- यानी शादी, विवाह, गृहप्रवेश, किसी नए संस्थान की ओपनिंग भी नहीं किए जाते.