ठाणे की सबसे पुरानी मराठी लाइब्रेरी हुई डिजिटल

भारत में डिजिटलाइजेशन को जोर काफी तेजी से बढ़ रहा है और इसके साथ ही बढ़ रहा है डिजिटल वेबसाईट का इस्तेमाल करनेवाले लोग। ठाणे की सबसे पुरानी लाइब्रेरी को डिजिटल प्लेटफॉर्म में बदल दिया गया है। मराठी ग्रंथ संघरा की स्थापना 1883 में विनायक लक्ष्मण भावे ने की थी और देश की पहली मराठी पुस्तकालय है।

यह भी पढ़े- मराठा संगठनों ने दी एक और आंदोलन की चेतावनी

नवंबर 2017 के बाद से, पुस्तकालय ने पुस्तकों का डिजिटलीकरण शुरू कर दिया है और हजारों किताबें इस साल जुलाई तक ई-किताबों के रूप में मुफ्त ऑनलाइन उपलब्ध होंगी। पुस्तकों को बदलने की प्रक्रिया में स्कैनिंग, अनुक्रमण, और उन्हें पीडीएफ प्रारूप में परिवर्तित करना शामिल है। लगभग 1,777 किताबें परिवर्तित कर दी गई हैं और ऑनलाइन उपलब्ध हैं।

यह भी पढ़े- डीपी की आड़ में जमीन घोटला, कांग्रेस का बीजेपी पर आरोप

जो वरिष्ठ नागरिक सहित पुस्तकालय की सदस्यता ले रहे हैं, वे खुश हैं कि वे कुछ साहित्य पढ़ सकते हैं, जो कि 100 साल पहले की तारीखें हैं, उनके घरों में आराम से उपलब्ध हो सकती है। लाइब्रेरी में विभिन्न शैलियों की लगभग 2.9 लाख किताबें हैं और 16 शब्दकोष जिन्हें पाठकों के लिए ऑनलाइन पहुंचने के लिए ई-किताबों के रूप में परिवर्तित करने की आवश्यकता है।

अगली खबर
अन्य न्यूज़