मुंबई में जहाँ मनोज जारंगे पाटिल का आंदोलन अन्य पिछड़ा वर्ग में मराठा समुदाय को आरक्षण देने की माँग को लेकर चल रहा है, वहीं प्रहार जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष बच्चू कडू ने कर्ज़ माफ़ी आंदोलन की तैयारी शुरू कर दी है। बच्चू कडू ने चेतावनी दी है कि 28 अक्टूबर को लाखों लोग मुंबई में इकट्ठा होकर धरना देंगे। यह सरकार के लिए एक नया सिरदर्द बनने की संभावना है। (After Jarange the government is worried about Bacchu Kadu loan waiver movement)
कर्ज मुक्ति के लिए आंदोलन
बच्चू कडू ने किसानों की कर्ज मुक्ति, सभी प्रकार के कृषि उत्पादों के लिए उत्पादन लागत के आधार पर डेढ़ गुना गारंटी मूल्य, किसान कल्याण महामंडल की स्थापना, सभी कृषि आदानों पर जीएसटी की छूट, गांव स्तर पर किसानों के हित में फसल बीमा योजना, खाद-बीज की जांच के लिए गांव स्तर पर प्रयोगशाला की स्थापना आदि प्रमुख मांगों को लेकर संघर्ष करने का निर्णय लिया है।
किसान- मजदूर अधिकार संघर्ष समिति का गठन
इसके लिए किसान- मजदूर अधिकार संघर्ष समिति का गठन किया गया है। 28 अक्टूबर को मुंबई में विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। इसके लिए तैयारियां की जा रही हैं। राज्य भर में बैठकें आयोजित की गई हैं और बच्चू कडू सहित किसान नेता विभिन्न स्थानों पर बैठकें कर रहे हैं। बच्चू कडू के इस विरोध प्रदर्शन को किसान नेता विजय जावंधिया, महादेव जानकर, डॉ. अजीत नवले, कैलास पाटिल, अनिल घनवट, प्रकाश पोहारे, विट्ठलराजे पवार, विजय कुंभार, काशीनाथ जाधव आदि ने समर्थन दिया है।
किसानों की दुर्दशा के लिए सरकार ज़िम्मेदार
किसानों में एकता बनाए रखने की चुनौती जाति, धर्म, संप्रदाय और राजनीतिक गुलामी ही वे कारण हैं जिनकी वजह से किसान एकजुट नहीं हो पाते। व्यवस्था और सरकार इसी स्थिति का फायदा उठाती है। बच्चू कडू का कहना है कि यही स्थिति किसानों की दुर्दशा के लिए ज़िम्मेदार है। हालाँकि विपक्ष कह रहा है कि किसान आंदोलन के लिए एकजुट नहीं होते, बच्चू कडू का दावा है कि हम किसानों को एकजुट करेंगे और सरकार को अपनी संगठित शक्ति दिखाएंगे। बच्चू कडू ने पिछले जून में किसानों, खेतिहर मजदूरों और दिव्यांगों के मुद्दों पर गुरुकुंज मोजारी में अन्न बहिष्कार का विरोध प्रदर्शन किया था। उद्योग मंत्री उदय सामंत के सौजन्य से बच्चू कडू ने विरोध प्रदर्शन स्थगित करने का फैसला किया था।
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