परप्रांतीय श्रमिक अपने गृह राज्य लौट रहे हैं और महाराष्ट्र के श्रमिक अन्य राज्यों से आ रहे हैं। यह देखते हुए कि उनके पास ट्रेन यात्रा के लिए भुगतान करने के लिए पैसे नहीं हैं, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री सहायता कोष से टिकट शुल्क का भुगतान करने का निर्णय लिया है। यह राशि संबंधित कलेक्टर की मांग के अनुसार निधि से काटी जाएगी। इस संबंध में निर्णय आपदा प्रबंधन और पुनर्वास विभाग द्वारा लिया गया है।
पूरे देश में लोग डाउन होने की वजह से सारे औद्योगिक कारखाने बंद पड़े हैं । इसके साथ ही लोग डॉन कहां से व्यापार और रोजमर्रा पर भी पड़ा हुआ है जिसे देखते हुए अब मुंबई में रहनेवाले पर प्रांतीय मजदूर अपने अपने गांव और राज्यों का रुख कर रहे हैं। हालांकि शुरुआत में इन सभी पर काफी विवाद भी हुआ था ट्रेन को किराए को लेकर भी राज्य और केंद्र सरकार में मतभेद खुलकर सामने आए। बाद में केंद्र सरकार ने नोटिफिकेशन जारी करते हुए कहा कि 85 ईसवी किराया केंद्र सरकार और 15 फ़ीसदी किराया राज्य सरकार वहन करेगी। जिसके बाद एक बार फिर से मजदूरों को उनके गंतव्य स्थान तक पहुंचाने के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन शुरू की गई।
हालांकि श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की संख्या इतनी कम थी कि कई सारे मजदूर पैदल ही अपने-अपने राज्यों के लिए निकल गए मुंबई सहित नासिक कल्याण और भिवंडी से भी कई मजदूर अपने-अपने राज्यों और गांव के लिए पैदल ही निकल गए। हालांकि अब राज्य सरकार के इस फैसले के बाद मजदूरों को थोड़ी राहत जरूर मिलेगी