मां को स्कूटर पर दुनियां दिखा रहे 44 साल के डी कृष्णकुमार

मैसूर के रहनेवाले 44 साल के दक्षिणामुर्ती कृष्णकुमार अपनी 73 साल की मां को अपने स्कूटर पर बैठाकर पिछले साढ़े पांच सालो से उन्हे दूनियां की अलग अलग जगह दिखा रहे है।  2015 में पिताजी के चले जाने के बाद मां को संभालने की जिम्मेदारी डी कृष्णकुमार पर आ गई।  डी कृष्णकुमार का कहना है की उनकी मां ने 68 साल की उम्र तक घर के बाहर तक कदम नही रखा था, लिहाजा उन्होने अपनी मां को पूरी दुनियां दिखाने का फैसला किया। 

मातृ सेवा संकल्प यात्रा

डी कृष्णकुमार ने अपने और अपनी मां के इस सफर को मातृ सेवा संकल्प यात्रा का नाम दिया है।  डी कृष्णकुमार 16 जनवरी 2018 को मैसूर से अपने इस यात्रा की शुरुआत की थी।  पिछले 5 सालो से अभी अधिक समय मे डी कृष्णकुमार ने 75 हजार किलोमीटर तक की यात्रा की है। स्कूटर पर कृष्णकुमार अपनी मां के साथ नेपाल, भुटान , म्यानमार के साथ साथ भारत मे कश्मीर से कन्याकुमारी तक यात्रा कर चुके है।  

डी कृष्णकुमार का कहना है की उनका 10 सदस्यीय परिवार है। वह खुद बैगलुरु मे एक मल्टिनेशनल कंपनी मे कॉर्पोरेट टीम लीडर के रुप मे  काम करते थे।  2015 मे पिताजी के देहांत के बाद डी कृष्णकुमार ने अपनी मां को मैसूर से बैगलुरु अपने पास बुला लिया। एक दिन बातो ही बातो मे डी कृष्णकुमार  ने अपनी मां से पुछा की क्या आपने तिर्नमवैली, तिरुपति मंदीर देखे है? जिसके बाद उनकी मां ने कहा की दूर के मंदिरो की बात तो दूर उन्होने तो अभी तक अपने घर के पास के मंदिर को भी नही देखा है।  अपनी मां की बात सुनकर डी कृष्णकुमार ने मां को भारत के अलग अलग मंदिरो के दर्शन कराने का फैसला किया और अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया।  

डी कृष्णकुमार के माताजी चूड़ा रत्नम्मा का कहना है की उनकी सारी जिंदगी किचन के चुल्हे चौके के बीच मे गुजरी है,उन्होने कभी घर के बाहर की दूनियां नही देखी। अपने पूराने दिनो को याद करते हुए चूड़ा रत्नम्मा कहती है की वह बहुत की भाग्यवान है जो उन्हे कृष्णकुमार जैसा बेटा मिला,जो ना सिर्फ उनका ख्याल रखता है बल्की जीवन के इस पड़ाव मे देश के कई तीर्थ स्थानो के दर्शन कराकर उनके जीवन को धन्य किया।  

आनंद महिंद्रा ने भेंट की कार, फिर भी करते है स्कूटर से सफर 

डी कृष्णकुमार को उनके पिता ने स्कूटर गिफ्ट मे दिया था।  डी कृष्णकुमार का कहना है की उनकी इस यात्रा से उद्योगपति आनंद महिंद्रा इतने प्रभावित हुए की उन्होने डी कृष्णकुमार को एक कार भेट कर दी। हालांकी इसके बाद भी डी कृष्णकुमार अपनी स्कूटर पर ही यात्रा करते है। डी कृष्णकुमार का कहना है की ये स्कूटर उनके पिता की निशानी है और उनके पिता के पास होने का अहसास कराती है जिसके कारण वह स्कूटर से ही अपनी मां को लेकर सफर करते है।  

माता पिता की सेवा ही सच्ची सेवा

डी कृष्णकुमार ने अपने पिता के देहांत के बाद अपनी मां को दुनियां दिखाने का फैसला किया। डी कृष्णकुमार का कहना है की माता पिता की सेवा ही सच्ची सेवा है, धरती पर माता पिता ही भगवान का रुप है"

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