सार्वजनिक स्थानों, रेलवे स्टेशनों आदि पर भीख मांगने वालों को राज्य सरकार की भिक्षागृहों (almshouses) में आश्रय दिया जाता है। ऐसे भिक्षुकों को उनके काम के लिए पारिश्रमिक (mendicants monk) भी दिया जाता है।
मानदेय बढ़ाने का फैसला
हालाँकि, अब राज्य सरकार ने इन भिक्षुकों का मानदेय बढ़ाने का फैसला किया है। राज्य सरकार ने भिक्षुक और महिला भिक्षागृहों में रहने वाले 368 भिक्षुकों को 5 रुपये के बजाय 40 रुपये प्रतिदिन देने का फैसला किया है।इन भिक्षुकों के पारिश्रमिक में आठ गुना वृद्धि की गई है। यह बढ़ा हुआ पारिश्रमिक अक्टूबर के पहले सप्ताह से शुरू होगा।
संशोधन के लिए अधिसूचना जारी
महिला एवं बाल विकास विभाग ने इसके लिए महाराष्ट्र भिक्षावृत्ति निषेध (संशोधन) अधिनियम-1964 में संशोधन हेतु एक अधिसूचना जारी की है। इस अधिसूचना के अनुसार, भिक्षागृहों में रहने वाले भिक्षुकों को उनके प्रशिक्षण के दौरान संतोषजनक प्रगति और अच्छे व्यवहार के आधार पर 40 रुपये प्रतिदिन पारिश्रमिक के रूप में देने का प्रावधान किया गया है।
अप्रैल 2025 में इस बढ़े हुए मानदेय को मंज़ूरी
महाराष्ट्रमंत्रिमंडल ने अप्रैल 2025 में इस बढ़े हुए मानदेय को मंज़ूरी दे दी थी। हालाँकि, यह बढ़ा हुआ मानदेय अभी तक नहीं दिया गया है। राज्य के 14 सरकारी भिक्षागृहों में वर्तमान में 368 भिखारी हैं।
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