राज्य सरकार ने रेस्तरां और बार चालक के लाइसेंस शुल्क में की 30 से 50 प्रतिशत तक की कटौती

महाराष्ट्र (maharashtra) में रेस्तरां (restorent) और बार (bar) मालिकों को राज्य सरकार ने बड़ी राहत दी है। राज्य सरकार ने रेस्तरां और बार चालक के लाइसेंस शुल्क में 30 से लेकर 50 प्रतिशत की कटौती की है। अन्य सभी उद्योगों की तरह, कोरोना और लॉकडाउन (lockdown) के कारण शराब उद्योग (liqer industry) को भी काफी नुकसान हुआ है।

राज्य में लाइसेंस प्राप्त शराब की दुकानों को कोरोना को देखते हुए बंद कर दिया गया था।जिसके बाद से इन बंद दुकानों की लाइसेंस फीस पर दुकानदार छूट की मांग कर रहे थे। इनकी मांग को देखते हुए राज्य सरकार ने स्वीकार कर लिया। प्रशासन की तरफ से यह भी स्पष्ट किया गया है कि, जिन लोगों ने पहले ही लाइसेंस शुल्क का भुगतान कर दिया है, उन्हें अगले वित्तीय वर्ष में इसका भुगतान किया जाएगा।

बीजेपी नेता चित्रा वाघ (bjp leader chitra wagh) ने कहा कि, ठाकरे सरकार ने मंदिरों से पहले ही बार को खोलने की अनुमति प्रदान कर दी थी, और अब शराब लाइसेंस फीस पर 50 फीसदी की छूट देे दी है। आखिर ठाकरे सरकार शराब व्यवसाईयों पर इतनी मेहरबान क्यों है?

उन्होंने आगे कहा, समाज के अन्य घटक भी कोरोना (Corona) और लॉकडाउन से प्रभावित हुए हैं। उनके द्वारा बार-बार कहने पर भी उन्हें राहत नहीं दी गई। तो यह सरकार शराबियों शराबियों पर इतनी मेहरबान क्यों है? या दारूवाले इस सरकार के कुछ मंत्रियो पर मेहरबान हैं?

सरकार को आड़े हाथों लेते हूए चित्रा वाघ ने कहा, आम आदमी बिजली के बिलों में छूट की मांग कर रहे हैं। इसके लिए वे सड़क पर भी उतरे लेकिन इस सरकार ने फिर भी कोई रियायत नहीं दी। आम आदमी को किसी चीज में राहत नहीं दी गई, चाहे वह घरपट्टी हो या पानीपट्टी, किसी भी चीज में आम लोगों को छूट नहीं दी गई। तो फिर शराबियों को ही राहत क्यों? क्या शराबी का भला करने के लिए महाराष्ट्र सरकार का यह न्यूनतम कार्यक्रम है?

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