महाराष्ट्र - किसान क्रेडिट कार्ड धारकों को 4 प्रतिशत ब्याज सब्सिडी देगी सरकार

राज्य सरकार ने महाराष्ट्र में मछुआरों और मत्स्य पालन से जुड़ी संस्थाओं को राहत देने का निर्णय लिया है। सरकार द्वारा घोषित नई योजना के तहत, कैबिनेट बैठक में किसान क्रेडिट कार्ड धारकों, मछुआरों, मत्स्य पालकों, मत्स्य प्रबंधकों और मत्स्य बीज प्रजनकों को ₹2 लाख तक के अल्पकालिक कार्यशील पूंजी ऋण पर 4 प्रतिशत ब्याज वापसी सब्सिडी प्रदान करने का निर्णय लिया गया।(Maharashtra Government to provide 4 percent interest subsidy to Kisan Credit Card holders)

आर्थिक राहत की कोशिश 

इस निर्णय से राज्य के समुद्री और अंतर्देशीय जलाशयों में काम करने वाले हजारों मछुआरों को आर्थिक राहत मिलेगी और मत्स्य पालन को और अधिक कुशल बनाने में मदद मिलेगी। मत्स्य पालन और बंदरगाह मंत्री नितेश राणे ने इस निर्णय का विशेष अनुवर्ती प्रयास किया।

योजना का उद्देश्य

इस योजना का मुख्य उद्देश्य मत्स्य पालन क्षेत्र में कार्यरत संस्थाओं को उनके व्यवसाय के लिए कार्यशील पूंजी ऋण उपलब्ध कराना और उन पर ब्याज का बोझ कम करना है। इसके माध्यम से, राज्य सरकार ने मछुआरों को स्थिर वित्तीय सहायता प्रदान करके उनकी उत्पादकता बढ़ाने का लक्ष्य रखा है।

किसे मिलेगा लाभ?

मछुआरे (भूमि स्वामी होना आवश्यक), मत्स्य कृषक, मत्स्य उत्पादक, मत्स्य प्रबंधन एवं मत्स्य बीज प्रजनक, कटाई-पश्चात क्षेत्र में वर्गीकरण, श्रेणीकरण, पैकेजिंग और भंडारण से जुड़े पेशेवर। इन सभी संस्थाओं को बैंकों के माध्यम से ₹2.0 लाख तक का कार्यशील पूंजी ऋण मिलेगा। राज्य सरकार इस ऋण पर 4% ब्याज वापसी अनुदान प्रदान करेगी।

लाभार्थी को ऋण वापसी की तिथि से एक वर्ष के भीतर ऋण का पूरा भुगतान करना होगा। यह शर्त पूरी होने पर ही उन्हें ब्याज वापसी अनुदान मिलेगा।

आवेदन और कार्यान्वयन प्रक्रिया

लाभार्थी का आवेदन संबंधित बैंक के माध्यम से जिला उप पंजीयक (सहकारी समितियाँ) को प्रस्तुत किया जाएगा। ऋण स्वीकृति एवं वितरण प्रक्रिया राष्ट्रीयकृत, निजी, ग्रामीण एवं जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों द्वारा की जाएगी। जिला स्तर पर कार्यान्वयन के दौरान आने वाली कठिनाइयों के समाधान हेतु सहायक आयुक्त (मत्स्य पालन) और जिला उप-पंजीयक/सहायक पंजीयक (सहकारी समितियाँ) के बीच समन्वय स्थापित किया जाएगा।

मत्स्य पालन ग्रामीण अर्थव्यवस्था का एक अभिन्न अंग है और मौसम की अनिश्चितता, ईंधन की बढ़ती कीमतों और बाजार प्रतिस्पर्धा के कारण मछुआरों पर वित्तीय दबाव बढ़ गया है। ऐसी स्थिति में, यह निर्णय मछुआरों को वित्तीय सहायता देगी।

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