हमेशा विवादों में रहनेवाली सुखविंद कौर उर्फ राधे अपने आप को मां दुर्गा का अवतार नहीं मानती, लेकिन वह अपने आप को स्पेशल जरुर मानती है। दरअसल कुछ दिनों पहले अखाड़ा परिषद के फर्जी बाबाओं की लिस्ट राधे मां का भी नाम था, जिसके बाद से वह लगातार अपने विरोधियों के निशाने पर रही।
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एक टीवी चैनल को दिए गए साक्षात्कार में राधे मां ने कहा की उनकी जिंदगी एक खुली किताब की तरह है। वह अपने आप को मां दुर्गा का अवतार नहीं मानती , लेकिन अपने आप को स्पेशल जरुर मानती है। राधे मां का कहना है की वह दुनिया के लिए अपने लाइफस्टाइल नहीं छोड़ सकती। उन्हें किसी की परवाह नहीं है और नाच गाना उनको भगवान के करीब लेकर जाता है।
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राधे मां ने अपने पूराने दिनों को याद करते हुए बताया की 17 साल की उम्र में उनकी शादी हो गई थी और 4 साल बाद उनके पति उनके दो बच्चों और उन्हें छोड़कर विदेश चल गए। ऐसे वक्त में उन्हे गलत रास्ते पर जाने से बेहतर भगवान की शरण में आना लगा और उन्होने तब से वह भक्ति में लीन हो गईं।