मुंबई की इस 10 साल की बच्ची को मिला बहादुरी का पुरस्कार, क्या किया था इसने?

मुंबई (Mumbai) की 10 साल की बच्ची जेन सदावर्ते (Zen sadavarte) को राष्ट्रीय शौर्य पुरस्कार (National Bravery Award) से सम्मानित किया गया है। दिल्ली (delhi) में आयोजित इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (ramnath kovind) ने पुरस्कार दिया। यह कार्यक्रम हर साल गणतंत्र दिवस (Republic Day) के अवसर पर दिया जाता है, इसके साथ ही औरंगाबाद (Aurangabad) के आकाश खिल्लारे (akash khillare) को भी इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

जेन ने बचाई थी 17 लोगों की जान 

10 वर्षीय जेन ने अपने चतुराई और साहस से 17 लोगों की जान आग से बचाई थी।  21 अगस्त 2018 को परेल इलाके में स्थित क्रिस्टल टावर की 13वीं मंजिल पर आग लग गयी थी, उसी इमारत में 10 साल की बच्ची जेन सदावर्ते भी रहती है। जब आग लगी तो वह सो रही थी, लेकिन उसने चारों ओर अफरा-तफरी सुनी तो पहले उसे लगा कि कोई धमाका हो गया। फिर उसने देखा कि सब तरह धुआं था और लोग इधर-उधर भाग रहे थे।

जेन ने  ऐसे हालात देखकर पहले उसने खुद साहस जुटाया और कोशिश किया की लोग भी न घबराएं। इसके बाद धुएं के असर को कम करने के लिए उसने लोगों से सूती कपड़े को गीला कर मुंह पर लगाने के लिए कहा, ताकि कार्बन को भीतर जाने से रोका जा सके और लोग साफ हवा के जरिए आसानी से सांस ले सकें। ऐसा करना के बाद लोगों का दम घुटना बंद हो गया और वह बाहर निकल सके। जेन ने स्कूल में हादसों से निपटने का सबक सीखा था। इस आग के कारण 4 लोगों की मौत हो गयी थी और 18 लोग घायल हो गए थे।

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औरंगाबाद के आकाश ने दिखाई बहादुरी 

जबकि महाराष्ट्र के औरंगाबाद में रहने वाले आकाश खिल्लारे ने नदी में डूब रही एक महिला और उसकी 5 साल की बच्ची को बचाया था। बताया जाता है कि महिला नदी के किनारे कपड़े को रही थी, और पास में ही उसकी बच्ची खेल रही थी। अचानक बच्ची नदी के पानी में गिर गयी, उसे बचाने के लिए मां ने भी पानी में छलांग लगा दी। तैरना न जानने के कारण दोनों पानी में डूबने लगे।

वहीं से आकाश खिल्लारे गुजर रहा था. वह भी बहादुरी दिखाते हुए पानी में कूद गया और 70 फूट गहरे पानी से महिला और उसकी बच्ची को बाहर निकाला।

इन दोनों बच्चों को उनकी बहादुरी के लिए सम्मानित किया गया। इस पुरस्कार के लिए इस बार 22 बच्चों को चुना गया था। इन बच्चों को एक 10 साल की बच्ची और एक 12 साल के लड़के को भी मरणोपरांत राष्ट्रीय शौर्य पुरस्कार दिया गया।

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