पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी का मामला, सुप्रीम कोर्ट ने चार हफ्ते तक घर में नजर बंद रखने का आदेश दिया!

  • विनय शर्मा & नितेश दूबे
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भीमा- कोरेगांव हिंसा के सिलसिले में नक्सल से जुड़े होने के आरोप में पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के मामले में सुनवाई करते हुए शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा की पांचो आरोपियों की गिरफ्तार किसी मकसद के तहत नहीं हुई है और ना ही पुलिस ने इन लोगों को गिरफ्तार करने के लिए अपने प्रयोग का गलत इस्तेमाल किया है। इसके साथ ही कोर्ट ने पांचो आरोपियों के हाउस अरेस्ट को 4 हफ्तों के लिए बढ़ा दिया है।

SIT से जांच नहीं कराई जाएगी

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने फैसला दिया कि हैदराबाद में वामपंथी कार्यकर्ता और कवि वरवर राव, मुंबई में कार्यकर्ता वरनन गोन्जाल्विस और अरुण फरेरा, छत्तीसगढ़ में ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज और दिल्ली में रहने वाले गौतम नवलखा को जमानत नहीं दी जाएगी और अगले चार हफ्ते तक उन्हें घर में नजर बंद रखा जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि इस मामले की SIT से जांच नहीं कराई जाएगी।

इस मामले की सुनवाई पूरी करते हुए कोर्ट ने 20 सितंबर को अपना फैसाल सुरक्षित रख लिया था और महाराष्ट्र पुलिस की केस डायरी भी ले ली थी।

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