बहुचर्चित जज लोया की मौत के मामले में गुरूवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने जज लोया की मौत की स्वतंत्र जांच कराने की याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले का कोई आधार नहीं है, इसलिए इसमें जांच नहीं होगी।
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'याचिका राजनीति से प्रेरित'
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में तीन जजों की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की। इस सुनवाई में कोर्ट ने कहा कि लोया के साथी जजों के बयान पर विश्वास नहीं करने की कोई वजह नही है। यह न्यायपालिका की छवि ख़राब करने की कोशिश है। कोर्ट ने आगे कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि जज लोया की मौत प्राकृतिक है। सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक न्यायपालिका को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। यह मामला न्यायपालिका की अवमानना का बनता है लेकिन वे अवमानना नही कर रहे हैं। यह याचिका राजनीति से प्रेरित लगती है। राजनैतिक और व्यवसायिक लड़ाई कोर्ट मे नही होनी चाहिए।
'हो निष्पक्ष जांच की मांग'
आपको बता दें कि महाराष्ट्र के पत्रकार बंधूराज लोने और सामाजिक कार्यकर्ता तहसीन पूनावाला सहित बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन की तरफ से एक स्वतंत्र याचिका दायर कर इस जस्टिस लोया मर्डर मामले की SIT गठित कर मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की थी।
कोर्ट का फैसला निराशजनक था। लोया की मौत जिन परिस्थितियों में हुई थी उसी की जांच के लिए हमने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगायी थी। कोर्ट के इस फैसले से अभी हम निराश नहीं हुए हैं। अब हम इसे जनता की अदालत में लेकर जाएंगे और जल्द ही न्याय के लिए आंदोलन भी शुरू करेंगे।
बंधूराज लोनी, याचिकाकर्ता
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क्या था मामला?
बता दें कि जज लोया ही हाई प्रोफाइल केस सोहराबुद्दीन शेख फर्जी एनकाउंटर केस की सुनवाई कर रहे थे। जब वे 1 दिसंबर 2014 को अपने मित्र की बेटी की शादी में नागपुर गए हुए थे तभी कथित तौर पर दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत हो गई थी। लोया की परिजनों ने संदिग्ध अवस्था में मौत का हवाला देते हुए इसकी जांच करने की मांग की थी।