महाराष्ट्र के सभी विश्वविद्यालय में डिजिटल निगरानी हेतु एक डैशबोर्ड बनाया जाए- मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने निर्देश दिया है कि राज्य के सार्वजनिक विश्वविद्यालय अपनी शैक्षणिक गुणवत्ता के साथ-साथ राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय रैंकिंग में सुधार के लिए विशेष प्रयास करें और इसके लिए प्रत्येक विश्वविद्यालय में डिजिटल निगरानी हेतु एक डैशबोर्ड बनाया जाए।(A dashboard should be created for digital monitoring in all universities of Maharashtra says Chief Minister Devendra Fadnavis)

आला अधिकारियों के साथ बैठक 

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अध्यक्षता में वर्षा के आवास पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) और विकसित महाराष्ट्र 2047 के कार्यान्वयन पर एक समीक्षा बैठक आयोजित की गई।बैठक में उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत (दादा) पाटिल, वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ओ. पी. गुप्ता, उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव बी. वेणुगोपाल रेड्डी, मुख्यमंत्री कार्यालय के प्रधान सचिव अश्विनी भिडे, मुख्यमंत्री कार्यालय के सचिव डॉ. श्रीकर परदेशी, तकनीकी शिक्षा निदेशक डॉ. विनोद मोहितकर, उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. शैलेंद्र देवलंकर, कला निदेशालय के निदेशक डॉ. किशोर इंगले, उप सचिव प्रताप लुबल, संयुक्त सचिव संतोष खोरगड़े और राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति एवं प्रतिकुलपति उपस्थित थे।

विश्वविद्यालय रैंकिंग की वर्तमान स्थिति पर आत्मचिंतन आवश्यक

मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि उच्च शिक्षा में शैक्षणिक गुणवत्ता, शोध, बुनियादी ढांचे और विश्वविद्यालय रैंकिंग की वर्तमान स्थिति पर आत्मचिंतन आवश्यक है। राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्वविद्यालयों की रैंकिंग बढ़ाने के लिए एक कार्ययोजना तैयार की जानी चाहिए और समयबद्ध योजना बनाई जानी चाहिए। इस कार्ययोजना को और गति देने के लिए एक ऑनलाइन डैशबोर्ड बनाया जाना चाहिए, जिसके लिए राज्य सरकार हर संभव सहयोग प्रदान करेगी।

रोज़गार के अवसर बढ़ाने के प्रयास 

वैश्विक प्रतिस्पर्धा के दौर में, विश्वविद्यालयों को उद्योग क्षेत्र के साथ समझौते, इंटर्नशिप, अप्रेंटिसशिप और कौशल-आधारित पाठ्यक्रमों के माध्यम से शैक्षिक गुणवत्ता और कुशल जनशक्ति का निर्माण करके रोज़गार के अवसर बढ़ाने के प्रयास करने चाहिए। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने यह भी कहा कि जिस तरह निजी विश्वविद्यालयों में नए विचार/पाठ्यक्रम सामने आ रहे हैं, उसी तरह सार्वजनिक विश्वविद्यालयों को भी गुणवत्ता पर अधिक ध्यान देना चाहिए।

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