कोरोना काल में मानसिक रोगियों में हुई वृद्धि

इस साल, देश दूनिया सहित, मुंबई (Mumbai) और पूरे राज्य में कोरोना वायरस (Coronavirus) के मद्देनज़र लॉकडाउन (lockdown) लगाया गया था। लोग घरों में कैद होकर रह गए थे। कोरोना वायरस का लोगों पर बहुत असर पड़ा है। यानी इस वायरस ने आम आदमी के न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक स्तर पर भी काफी प्रभाव डाला है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, मानसिक अस्पतालों (mental hospital) में मानसिक रूप से परेशान होने की शिकायत करने वालों की संख्या में लगभग 300 फीसदी की वृद्धि हुई, जो कि हैरान कर देने वाली है।

साधारणतय: ऐसा पहली बार हुआ है कि, इतने लंबे समय तक इंसानों को घर पर रह कर काम करने का मौका मिला है। एक ही जगह पर काम करते करते, और लोगों से बिना मिले जुले काम करना, साथ ही कोरोना (Covid19) के डर में जीना, इन सब का असर शरीर के साथ साथ, इंसानों के मस्तिष्क पर भी पड़ा।

आम तौर पर लोगों को इतने लंबे समय तक एक ही स्थान पर रहने की आदत नहीं होती है, इसलिए उन्हें इस मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस कोरोना काल में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी शिकायतों पर मार्गदर्शन प्राप्त करने वालों की संख्या में 300 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जिसमें महिलाओं का अनुपात 33% है।

टेलीमेडिसिन (telemedicine) का उपयोग करने वाले पुरुषों और महिलाओं का अनुपात 75-25 प्रतिशत था, जो इस वर्ष यह 68-32 प्रतिशत तक पहुंच गया है।

राष्ट्रीय स्तर पर, टेलीमेडिसिन का चेन्नई (Chennai)में सबसे अधिक उपयोग किया जाता है। उसके बाद, बैंगलोर, दिल्ली, मुंबई, पुणे, हैदराबाद और कोलकाता में टेलीमेडिसिन का अनुपात पिछले वर्ष की तुलना में 300 प्रतिशत बढ़ा है।

कोरोना काल में यह देखा गया कि, न्यूरोसर्जन, कार्डियोलॉजिस्ट और ऑन्कोलॉजिस्ट जैसे लोगों के पास शारीरिक शिकायतों करने वालेे लोगों की संख्या में 32% की कमी आई है। तो वहीं 50 वर्ष से अधिक आयु के लोगों ने भी टेलीमेडिसिन उपचारविधि में अपनी पसंद दिखाई है। यह टेलीमेडिसिन की कुल मात्रा का लगभग 12% है। जबकि पिछले साल यह 5 फीसदी था।

अगली खबर
अन्य न्यूज़