उन इमारतों के पुनर्विकास में तेजी लाने के लिए, जो बेहद जीर्ण-शीर्ण स्थिति में हैं या जो कम से कम 30 साल पुरानी हैं, राज्य सरकार ने म्हाडा को संरचनाओं के पुनर्विकास की अनुमति देने का फैसला किया है। यदि मालिक या निवासी किसी भी पहल के लिए असफल रहते हैं तो म्हाडा इन इमारतों का पुनर्विकास कर सकती है।
मुंबई की इन सेस बिल्डिंग में करीब 20 लाख लोग रहते है। राज्य मंत्रिमंडल ने बुधवार को तदनुसार म्हाडा अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इस मंजूरी के बाद सरकार एक अध्यादेश भी जारी करेगी। यदि बिल्डर बीच में पुनर्विकास को रोकता है या यदि बिल्डर निवासियों को किराया नहीं दे रहा है, तो म्हाडा इन इमारतों का अधिग्रहण करेगी और उनका पुनर्विकास करेगी।
अगर बीएमसी द्वारा नोटिस दिए जाने के बाद, 6 महीने में सेस बिल्डिंग का मालिक या हाउसिंग सोसाइटी पुनर्विकास का कोई प्रस्ताव प्रस्तुत नहीं करता है, तो म्हाडा इस तरह की इमारत का अधिग्रहण कर सकती है और इसे पुनर्विकास कर सकती है। उन इमारतों के निवासी, जो 30 से ज्यादासमय से रह रहे है और पहले म्हाडा या प्राधिकरण द्वारा म्हाडा के तहत पुनर्विकास किया गया था, अब 300 वर्ग फुट का फ्लैट मिलेगा अगर ये इमारतें फिर से पुनर्विकास से गुजरती हैं।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधानसभा में इस मुद्दे पर एक बहस का जवाब देते हुए इस साल 28 जून को इसकी घोषणा की थी। लेकिन इस संबंध में निर्णय लेने में लगभग दो महीने लग गए। राज्य मंत्रिमंडल ने सेस इमारतों और आस-पास के गैर-इमारतों के क्लस्टर विकास को बढ़ावा देने का भी फैसला किया।
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