माझगांव डॉक को 'नेक्स्ट जनरेशन डिस्ट्रॉयर' प्रोजेक्ट देने की मांग

देश की समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देने के लिए, शिवसेना सांसद और माझगांव डॉक कामगार एकता यूनियन के अध्यक्ष नरेश म्हस्के ने आज दिल्ली में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की और एक लिखित निवेदन सौंपा। (Demand to give 'Next Generation Destroyer' project to Mazgaon Dock)

उन्होंने मांग की कि ‘नेक्स्ट जनरेशन डिस्ट्रॉयर (NGD)’ जैसे अत्याधुनिक युद्धपोतों का निर्माण कार्य माझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) को नामांकन के आधार पर सौंपा जाए। इस पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी और भरोसा दिलाया कि जल्द ही माझगांव डॉक को नया प्रोजेक्ट दिया जाएगा।

सांसद म्हस्के ने बताया कि MDL देश का सबसे अनुभवी और सक्षम शिपयार्ड है, जिसने भारतीय नौसेना के लिए अब तक प्रोजेक्ट 15 (दिल्ली क्लास), 15A (कोलकाता क्लास) और 15B (विशाखापट्टनम क्लास) जैसे कई अत्याधुनिक विध्वंसक युद्धपोत बनाए हैं। इसके चलते MDL को शस्त्र, सेंसर, स्टील्थ टेक्नोलॉजी और युद्धपोत निर्माण में गहरी विशेषज्ञता हासिल है। यह अनुभव दशकों में विकसित हुआ है, जिसे कोई नई कंपनी तुरंत नहीं दोहरा सकती।

सांसद म्हस्के ने कहा कि MDL केवल एक कंपनी नहीं, बल्कि देश की रक्षा निर्माण व्यवस्था की रीढ़ है। यहां 6,000 से ज़्यादा लोगों को स्थायी रोजगार मिला है और हजारों परिवार अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं। कंपनी हर साल करीब 1,000 करोड़ रुपये वेतन और 1,300 करोड़ रुपये का खर्च करती है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को भी बड़ा सहारा मिलता है।

उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अगर इस प्रोजेक्ट को बोली प्रक्रिया के तहत अनुभवहीन कंपनियों को दिया गया, तो गुणवत्ता में कमी, लागत बढ़ना और समय पर निर्माण न होना जैसे जोखिम सामने आ सकते हैं। इससे भारतीय नौसेना की तैयारियों पर भी असर पड़ सकता है।

सांसद म्हस्के ने कहा कि अमेरिका, चीन और यूरोपीय देश भी अपने अहम रक्षा प्रोजेक्ट्स विश्वसनीय कंपनियों को ही देते हैं। इसी तरह, भारत में भी NGD जैसे रणनीतिक प्रोजेक्ट्स को अनुभवी सरकारी संस्थानों को ही सौंपा जाना चाहिए।

उन्होंने अंत में कहा कि यह मांग रक्षा खरीद नीति 2020 के प्रावधानों के अनुरूप है, और देशहित में जरूरी है कि भविष्य के युद्धपोत और पनडुब्बियों के प्रोजेक्ट्स माझगांव डॉक जैसी प्रतिष्ठित कंपनी को दिए जाएं, ताकि 'आत्मनिर्भर भारत' का लक्ष्य और भी मजबूती से आगे बढ़ सके।

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