महाराष्ट्र और यूपी सरकार के बीच के मतभेद में पिस रहे हैं मजदूर

महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच चल रहे मतभेद का खमियाजा प्रवासी मजदूरों को भुगतना पड़ रहा है। दोनो राज्यों के बीच अनेक मुद्दों को लेकर कन्फ्यूजन की स्थिति बनी है। इसका कारण यह हुआ कि अब मुंबई से उत्तर प्रदेश जाने के लिए पुलिस थानों में जमा हो रहे प्रवासियों के आवेदन फार्मो को जमा करना भी पुलिस ने बंद कर दिया गया है। इससे लाखों प्रवासी मुश्किल में पड़ गए हैं।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और हरियाणा सरकार ने शर्त रखी है कि महाराष्ट्र से आने वाले सभी मजदूरों को पहले 14 दिन तक क्वारंटीन किया जाए और इसके बाद उन सभी की कोविड की जांच के बाद ही उन्हें आने दिया जाए जबकि राजस्थान, बिहार, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा के प्रवासियों के लिए यात्रा पास बनाए जा रहे हैं।

अधिकारी ने आगे बताया कि इस शर्त के बाद महाराष्ट्र सरकार ने प्रवासियों को उत्तर प्रदेश जाने के लिए दो दिन पहले तक जारी हो रहे पास बनाना अचानक बंद कर दिया है। इसके साथ ही ट्रेन के किराए को लेकर भी महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच मतभेद है। प्रदेश सरकार को 15 फीसदी ही प्रवासियों का किराया वहन करना है। लेकिन महाराष्ट्र सरकार इसके लिए तैयार नहीं है।

आपको बता दें कि अभी हाल ही में एनसीपी नेता और अल्पसंख्यक मंत्री नवाब मलिक ने भी यूपी सरकार पर आरोप लगाया था कि यूपी की योगी सरकार प्रवासियो को बुलाने में अड़ंगा अड़ा रही है।

रिपोर्ट के अनुसार इस बारे में यूपी के अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी की ओर से मुख्य सचिव महाराष्ट्र को जारी पत्र में कहा गया है कि जो सूचियां महाराष्ट्र की ओर से उन्हें उपलब्ध कराई जा रही है उसमें अनेक विसंगतियां हैं।

इस बारे में पूर्व गृहराज्य मंत्री कृपाशंकर सिंह ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिख मांग की है कि प्रदेश के सीएम होने के नाते उद्धव ठाकरे खुद यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ से बात कर मामले को सुलझाए।

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