महाराष्ट्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने दिया झटका, मराठा आरक्षण पर लगी रोक को बरकरार रखा

मराठा आरक्षण (maratha reservation) को लेकर सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने महाराष्ट्र सरकार को झटका दिया है। मराठा आरक्षण पर लगी अंतरिम रोक को हटाने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है। अब इस मामले में अगली सुनवाई जनवरी के तीसरे या चौथे सप्ताह में हो सकती है। तब तक, सरकार को शिक्षा और नौकरियों में रिक्तियों को भरने के लिए यथास्थिति बनाए रखना होगा।

सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ द्वारा शिक्षा और नौकरियों में मराठा आरक्षण पर रोक लगाने के बाद राज्य सरकार की सितंबर में भारी आलोचना हुई थी। इसके बाद, राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में तीन याचिकाएं दायर की थीं, जिसके जरिये मराठा आरक्षण पर अंतरिम आदेश को स्थगित करने के लिए एक बेंच की तत्काल स्थापना की मांग की गई थी।

तदनुसार, सुप्रीम कोर्ट की तीन-सदस्यीय पीठ ने मराठा आरक्षण के मामले को पाँच-न्यायाधीशों की पीठ के पास भेज दिया।  बुधवार 9 दिसंबर को पीठ के समक्ष सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान, राज्य सरकार की तरफ से नियुक्त किए गए वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि, सुप्रीम कोर्ट की अंतरिम आदेश से भर्ती और शैक्षणिक प्रवेश प्रक्रिया में हजारों एसईबीसी (sebc) छात्रों का भविष्य प्रभावित हो रहा है।

इसका हजारों छात्रों पर गंभीर परिणाम सामने आ सकेेते हैं। इसलिए इस अंतरिम आदेश को रद्द करने का अनुरोध रोहतगी ने किया।

इस पर कोर्ट ने स्पष्ट किया कि, कोर्ट की तरफ से किसी भी भर्ती को रोकने से इनकार नहीं किया गया है। लेकिन कोर्ट ने यह भी कहा कि, यह भर्ती इस अधिनियम के तहत नहीं की जा सकती है। जैसा कि मामला गंभीर और बड़ा है और इस पर विस्तृत सुनवाई जनवरी में होगी।

इस तरह से कोर्ट ने अपने पहले के फैसले को यथावत रखा, मतलब आरक्षण पर लगी रोक बरकरार रहेगा।

इस बीच, एसईबीसी आरक्षण के बिना 11 वीं प्रवेश प्रक्रिया शुरू करने के राज्य सरकार के बड़े फैसले ने 11 वें प्रवेश के लिए रास्ता साफ कर दिया है, जो पिछले कई दिनों से रुका हुआ है।

तदनुसार, ग्यारहवीं प्रवेश की दूसरी सूची भी घोषित की गई है और प्रवेश प्रक्रिया में तेजी आई है। इससे छात्रों और उनके माता-पिता को बड़ी राहत मिली है।

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