कोरोना वायरस से मुंबई में अब तक 5 की मौतें हो चुकी हैं। परेल के रहने वाले 65 वर्षीय व्यक्ति की तो कलीना के जाम्भलीपाड़ा में रहने वाले 37 वर्षीय व्यक्ति की, घाटकोपर में रहने वाले 25 वर्षीय व्यक्ति की तो घाटकोपर की ही 68 वर्षीय महिला, ये सभी कोरोना वायरस पॉज़िटिव हैं। इन सभी में एक चीज कॉमन है और वह है ये सभी चॉल में रहते हैं। जी हां, मुंबई के स्लम यानी चॉल कोरोना वायरस के लिए सुनामी साबित हो सकते हैं।
सरकार जिस सोशल डिस्टेंस की बात करती है वह मुंबई के स्लम्स के लिए बेमानी है। संकरी गालियां, छोटे छोटे 10 बाई 10 के रूम जिसमें 5 से 6 लोग रहते हैं, सार्वजनिक शौचालय जिसमें सैकड़ों लोग शौच करते हैं, जरा सोचिए यहाँ सोशल डिस्टेंस कैसे मेंटेन हो सकता है।
प्रभादेवी में जो महिला कोरोना पॉज़िटिव निकली है बताया जाता है कि वह स्लम में खाना बनाने का एक छोटा से होटल चलाती थी। साथ ही वह कई बड़े ऑफिसों में खाना पार्सल भी करती थी। अब बीएमसी इस बात की जांच कर रही है कि आखिर यह महिला कोरोना की चपेट में आई कैसे, साथ ही इसके यहां खाना खाने वाले न जाने कहां- कहां से आते थे और यह महिला न जाने कितने ऑफिसों में खाना पार्सल करती थी। अब इनसभी को ढूंढना बीएमसी के लिए भूसे में से सुई ढूढना जैसा मुश्किल काम है। याब ई में से न जानें कितने लोग चपेट में आए होंगे ओर न जाने वे सभी कहाँ कहाँ फैलाएंगे।
इस बारे में जी-साउथ वार्ड के असिस्टेंट म्युनिसिपल कमिश्नर शरद उगादे का कहना है कि, "हम महिला के परिवार के सभी सदस्यों की जांच कर रहे हैं और हमने पिछले सप्ताह या उसके आसपास उन लोगों की भी तलाश कर रहे हैं जिन्होंने महिला के यहां खाना खाया।
हालांकि अब महिला के होटल को बंद कर दिया गया है साथ ही वहां दवाओं का छिड़काव भी किया गया है।
कलीना के जाम्भलीपाड़ा में रहने वाले जो व्यक्ति कोरोना की चपेट में आया, बताया जाता है कि वह इटली में वेटर का काम करता था। वह जब भारत आया तो यहाँ एयरपोर्ट में उसकी जांच हुई लेकिन रिपोर्ट निगेटिव आई। इसके कुछ दिन बाद जब उसकी तबियत बिगड़ी तो उसने एक लोकल डॉक्टर से दवा ली, लेकिन कोई फायदा नही हुआ। इसके बाद वह कस्तूरबा हॉस्पिटल गया और वहां जांच कराया, लेकिन वहां भी रिपोर्ट नेगेटिव आई। लेकिन दो दिन बाद जब उसकी तबियत फिर बिगड़ गयी तो वह फिर से कस्तूरबा गया और इस बार वह कोरोना पॉज़िटिव निकला।
कलीना इलाके के पूर्व कांग्रेस के नगरसेवक ब्रायन मिरांडा का कहना है कि कलीना जाम्बलीपाड़ा एल स्लम इलाका है। जहाँ लोग काफी तादाद में रहते हैं और सार्वजनिक शौचालय का उपयोग करते हैं। इस व्यक्ति ने न जाने कितनों को छूआ होगा और न जाने कहाँ कहाँ गया होगा। यह पता करना मुश्किल है।
बताया जाता है कि अब उस व्यक्ति की पत्नी और दो बच्चों की भी जांच की जा रही है। लेकिन रिजल्ट अभी प्रतीक्षित हैं। साथ ही इस व्यक्ति ने जिस क्लिनिक का दौरा किया था उसे भी सील कर दिया गया।
अधिकारीयों का कहना है कि, ' उन सभी का पता लगाना असंभव है, जो उसकी नजदीकी में रहे होंगे। जाम्बलिपडा जैसी जगह पर आप कैसे करते हैं? जब आप सुबह में शौचालय जाते हैं, तो आप कम से कम 20 लोगों के करीब होते हैं। और यहां एक छोटे से घर में लोग रहते हैं। यहाँ के निवासी पानी भरने, शौचालय का उपयोग करने, भोजन खरीदने, सिगरेट पीने, यहां तक कि कुछ ताजी हवा लेने के लिए बाहर निकलते हैं तो एक दूसरे के संपर्क में आते हैं।
हालांकि अधिकारी ने आगे कहा, "अगर झुग्गियों में वायरस फैलता है, तो हम उसके लिए तैयार हैं।"
यह तो हो गया कुछेक स्लम का हाल, मुंबई जैसे शहर की 75 फीसदी जनसंख्या स्लम में रहती है। लेकिन जिस तरह से लोग लॉकडाउन और धारा 144 के बाद भी बाहर निकल कर घूम रहे हैं उससे तो कोरोना के लिए एक आदर्श स्थिति तैयार कर रहे हैं। अगर ऐसी स्थिति में कोरोना किसी को होता है तो कोरोना की सुनामी आ सकती है जिसके लिए न तो मुंबई तैयार है और न तो भारत। इसीलिए हमें घरों में ही रहना होगा और तमाम उपायों का पालन करना होगा।