शिवलिंग मे दरार पड़ने के बाद बाबुलनाथ मंदिर ने आईआईटी-बॉम्बे से संपर्क किया है। हालांकि, मंदिर के अधिकारियों ने दावा किया है कि यह शिवलिंग 'खंडित' नहीं हुआ है। हिंदू मान्यता के अनुसार टूटे या क्षतिग्रस्त शिवलिंग की पूजा नहीं की जाती है और आमतौर पर इसे विसर्जित कर दिया जाता है। ( Crack in Shivling in Babulnath temple Mumbai)
दूध के उपयोग की अनुमति नहीं
मंदिर प्रशासन शिवलिंग पर दूध या जल के अलावा कोई भी द्रव्य चढ़ाने की अनुमति नहीं देता है। हाल ही में हुए महाशिवरात्रि पर्व के दौरान भी श्रद्धालुओं को केवल जल चढ़ाने की अनुमति थी। क्योंकि शिवलिंग मे दरार का एक कारण दूध को भी माना जाता है।
विडंबना यह है कि मंदिरों में 'अभिषेक' में दूध का उपयोग किया जाता है। अभिषेक (स्नान) हिंदू और अन्य मंदिरों में पानी, शहद, दही और अन्य प्रसाद चढ़ाने की प्रथा है।
ट्रस्टियों ने IIT बॉम्बे से संपर्क किया
मंदिर प्रबंधन ने कहा, 'फिलहाल भक्तों को सुबह छह बजे से दोपहर 12 बजे के बीच ही जल चढ़ाने की अनुमति है। उन्होंने कहा, "मंदिर के ट्रस्टियों ने रिपोर्ट के लिए IIT से संपर्क किया था। भाटजी ने मंगल प्रभात लोढ़ा से संपर्क किया था और उन्होंने उन्हें इसके बारे में सूचित किया था, हमने उन्हें 15 दिन पहले रिपोर्ट दी थी।"
पुजारियो का कहना है कि दूध में मिलावट के कारण शिवलिंग में दरार आ जाती है।
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