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केंद्र ने गरीबों को दी राहत, और 2 महीने तक मिलेगा मुफ्त वाला अनाज

इससे जहां देश के कुल 81 करोड़ पीडीएस उपभोक्ताओं को फायदा होगा, तो वहीं उन आठ करोड़ प्रवासी कामगारों को भी राहत मिलेगी जिनके पास राशन कार्ड नहीं है।

केंद्र ने गरीबों को दी राहत, और 2 महीने तक मिलेगा मुफ्त वाला अनाज
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लॉकडाउन (lockdown) और गिरती हुई अर्थव्यवस्था को देखते हुए केंद्र की मोदी सरकार ने गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले और प्रवासी कामगारों को केंद्र की प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत और दो महीनों के लिए राशन देने का विचार किया जा रहा है। यानी इस योजना के तहत अगले और दो महीने तक उपभोक्ताओं को मुफ्त अनाज मिल सकता है। इससे जहां देश के कुल 81 करोड़ पीडीएस उपभोक्ताओं (PDS Consumer) को फायदा होगा, तो वहीं उन आठ करोड़ प्रवासी कामगारों को भी राहत मिलेगी जिनके पास राशन कार्ड नहीं है। इसके पहले सरकार ने 3 महीने के लिए गरीबो को राशन देने का निर्णय किया था।

आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत देश के आठ करोड़ प्रवासी कामगारों को भी और दो महीने तक मुफ्त अनाज देने पर विचार हो रहा है। योजना के तहत बिना राशन कार्ड वाले प्रवासी कामगारों को भी हर महीने प्रति व्यक्ति पांच किलो अनाज (चावल या गेंहू) दिया जाता है। इसके अलावा प्रत्येक परिवार को हर महीने एक किलो दाल भी दी जाती है।

इस योजना के मुताबिक देश के करीब 81 करोड़ लोगों को अप्रैल, मई और जून इन तीन महीने का राशन मुफ्त में उनके राशन कार्ड पर मिलेगा। इसके कारण सरकारी खजाने पर तकरीबन 46,000 करोड़ रुपये का भार पड़ने का आकलन किया जा रहा है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कोरोना के कारण देश मे जैसे ही लॉकडाउन की घोषणा की गई, उसके बाद यानी 26 मार्च को सरकार ने गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना का एलान कर आम लोगों को राहत दी थी।

सरकार से जुड़े सूत्रों ने बताया कि, जिस तरह से कोरोना वायरस का प्रकोप बढ़ रहा है उसे देखते हुए आर्थिक गतिविधियां अभी सामान्य होने में अभी विलंब लग सकता है। साथ ही देश भर के कामगार भी अपने गांव की ओर लौट गए हैं। ऐसे में सरकार और दो महीने के लिए मुफ्त में राशन देने पर गंभीरता से विचार कर रही है।

सूत्रों के अनुसार, भारतीय खाद्य निगम (एफसीआइ) के पास वर्तमान में आठ करोड़ टन से भी अधिक खाद्यान्न का स्टॉक है, जो पूरे साल अनाज वितरण के बावजूद कम नहीं पडे़गा। हर महीने अनाज की जरूरत के मुकाबले सरकारी गोदामों में इससे कहीं अधिक अनाज उपलब्ध है।

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