करोड़ों, अरबों का राज छुपा था जिस लैपटॉप में, पोल खुलने के डर से भंगार वाले को बेच दिया मात्र 300 रुपए में

ईडी की कार्रवाई, पिछले तीन दशकों में विवा समूह और एचडीआईएल के हुए लेनदेन को एक एक करके सामने ला रही है। यह आंकड़ा लगभग 400 करोड़ रुपये से अधिक होने का अनुमान जताया जा रहा है।

करोड़ों, अरबों का राज छुपा था जिस लैपटॉप में, पोल खुलने के डर से भंगार वाले को बेच दिया मात्र 300 रुपए में
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प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी (ED) की टीम ने भाई ठाकुर (Bhai thakur) के परिवार द्वारा संचालित विवा ग्रुप पर शिंकजा कसना शुरू कर।दिया है। ईडी ने विवा ग्रुप (viva group) के सीए मदन चतुर्वेदी से पूछताछ के बाद विभिन्न स्थानों पर छापे मारे। सूत्रों के मुताबिक, मदन चतुर्वेदी ने कई राज, कई लोगों के हिसाब किताब का जिक्र एक लैपटॉप में किया है। लेकिन चतुर्वेदी ने इस लैपटॉप को एक भंगार वाले को बेच दिया, वो भी मात्र 300 रुपये में। ईडी अब इस लैपटॉप को खोजने की हरसंभव प्रयास कर रही है।

इस मामले में गिरफ्तार किए गए विवा ग्रुप के सीए मदन चतुर्वेदी ने कबूल किया कि, उन्होंने अपना लैपटॉप 300 रुपये में एक भंगार वाले को बेच दिया है। ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, ईडी की टीम कई भंगार वालों के मलबों की जांच में लैपटॉप की तलाश कर रही है। विवा ग्रुप मेंं छापे के बाद, कंपनी के सीए मदन चतुर्वेदी और प्रबंध निदेशक मेहुल ठाकुर को गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तार अभियुक्त मेहुल ठाकुर और मदन चतुर्वेदी ने अपने मोबाइल को पूरी तरह से फॉर्मेट कर दिया है और अब ईडी इस लैपटॉप को तलाशना एक चुनोती है। जिसमें विवा ग्रुप की सालों साल की कुंडली है।

PMC घोटाले में ED ने HDIL ग्रुप के कार्यालयों पर भी छापा मारा था। जिसके तार विवा ग्रुप से भी जुड़े मिले। HDIL का सबसे बड़ा लेआउट वसई विरार में है। HDIL 1991 से भाई ठाकुर की मदद से यहां की जमीन अधिग्रहण कर रहा है। दोनों ग्रुप के रिश्ते इतने घनिष्ठ हैं कि, बताया जाता है कि विवा ग्रुप के भाई ठाकुर वरडाई चांदी मामले में जब जेल गए तो भी इस रिश्ते को कोई आंच नहीं आई।

सूत्रों का यह भी कहना है कि, मुंबई में कई बड़े प्रोजेक्ट को सफलतापूर्वक पूरा करने वाले तमामा बिल्डरों की दाल वसई विरार में नहीं गली। ठाकुर कंपनी के दादागिरी के आगे उन्हें वसई विरार में अपना प्रोजेक्ट समेटना पड़ा, लेकिन HDIL ठाकुर एंड कंपनी की छत्रछाया में लगातार आगे बढ़ती।रही।

एचडीआईएल ने ही वसई-विरार में विवा ग्रुप साम्राज्य को आर्थिक रूप सेे मजबूत किया। ED को भी यही आशंका है कि ठाकुर और HDIL के बीच पिछले 30 वर्षों से अवैध रूप से करोड़ों रुपये का लेनदेन हुआ है। 

जबकि यह भी सही है कि, HDIL के कारण ही आज ठाकुर कंपनी मुश्किल में आ गई है। ईडी की कार्रवाई, पिछले तीन दशकों में विवा समूह और एचडीआईएल के हुए लेनदेन को एक एक करके सामने ला रही है। यह आंकड़ा लगभग 400 करोड़ रुपये से अधिक होने का अनुमान जताया जा रहा है।

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