रत्नागिरी जिले की नाणार पेट्रोलियम रिफाइनरी परियोजना को लेकर बीजेपी और शिवसेना में मतभेद बढ़ते ही जा रहे हैं। जहां मंगलवार को शिवसेना नेता और उद्योग मंत्री सुभाष देसाई ने इस परियोजना के विरोध में मंत्रमंडल से इस्तीफा देने की धमकी दे दी तो बुधवार को शिवसेना पक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि नाणार परियोजना को लेकर करार किसी भी कीमत पर नहीं होने देंगे। यही नहीं शिवसेना ने मंत्रिमंडल से बहिष्कार भी कर दिया था।
विरोध के बाद भी किया करार
आपको बता दें कि मंगलवार को बीजेपी को देसाई ने धमकी देते हुए कहा कि यदि सरकार ने नाणार परियोजना को जबरन शुरू करने की कोशिश की, तो वे मंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे। देसाई ने यह धमकी उस करार के बाद दी बीजेपी नेता और पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सऊदी अरब की तेल शुद्धिकरण करने वाली दो कंपनियां अराम्को और ऐडनॉक से करार किया। शिवसेना ने यह भी आरोप लगाया कि इस करार के लिए शिवसेना को विश्वास में नहीं लिया गया।
उद्धव ने बीजेपी मंत्री को नहीं दिया समय
शिवसेना के रुख को देखते हुए धर्मेंद्र प्रधान ने उद्धव ठाकरे को विश्वास में लेने के लिए उनसे मिलने के लिए पेशकश की लेकिन नाराज उद्धव ने इस पेशकश को ठुकराते हुए धर्मेंद्र प्रधान से मिलने से इनकार कर दिया। उद्धव ने कहा कि अब जब करार हो ही गया है तो मिलने का कोई तुक नहीं बनता है।
भूमि अधिग्रहण का हो रहा है विरोध
बता दें कि रत्नागिरी में चल रहे इस नाणार परियोजना के लिए किसान भूमि अधिग्रहण का विरोध कर रहे हैं, इसी को देखते हुये शिवसेना भी इस परियोजना के विरोध में उतर आई है जबकि भाजपा सरकार परियोजना को आगे बढ़ाने में लगी है।
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