विश्व क्षय रोग दिवस विशेष – टीबी के कारण दसवी की परीक्षा ना दे पाने वाले विशाल ने दी टीबी को मात

2016 में टीबी की बीमारी के कारण दसवी की परीक्षा ना दे पानेवाले विशाल ने अपने आत्मविश्वास और दवाओं की मदद से अपनी टीबी की बीमारी को खत्म कर दिया। 18 साल के विशाल ने टीबी की बीमारी को हराने के बाद एक बार फिर से दसवी की परीक्षा देने जा रहा है। विशाल के फेफड़े के दोनों हिस्सों में पानी भर गया था। डॉक्टरो ने विशाल को दवाईयों से ठिक करने की कोशिश की , लेकिन अंत में विशाल को विंडो ऑपरेशन का सहारा लेना पड़ा और उसने टीबी को मात दे दी।

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कल्याण में रहनेवाले विशाल को 2016 में चीबी हुआ था, टचीबी की जानकारी मिलने के बाद विशाल के परीवारवालों ने तुरंत उसे शिवडी के टीबी अस्पताल में दिखाया। जनवरी 2017 में विशाल को शिवडी टीबी अस्पताल में भर्ती कराया गया। लगातार 6 महीने तक इलाज चलता रहा। अक्टुबर 2017 में विशाल पर विंडो ऑपरेशन किया गया जिसके बाद वह पूरी तरह से ठिक हो गया।

क्या है विंडो ऑपरेशन

कई बार डॉक्टर टीबी को दवाईयों के जरिय़े ही ठिक करने की कोशिश करते है। लेकिन ऑपरेशन करने के बाद भी टीबी के जंतुओं को ठिक किया जाता है। डॉक्टरों ने इसी ऑपरेशन के जरिये विशाल के फेफड़ो से पानी निकाला और उसे बीमारी को ठिक किया। 1935 से टीबी के मरीजों पर ऑपरेशन किया जाता आ रहा है।

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शिवडी टीबी अस्पताल के मुख्य मेडिकल अधिकारी डॉ. ललितकुमार आनंदे का कहना है की जब विशाल यहां आया था तो उसका वजन 39 किलों था, लेकिन अब उसका वजन 58किलों हो गया है। टीवी के मरीजों पर छोटा मोटा ऑपरेशन किया जा सकता है लेकिन अभी तक इस मामले में जनजागृती नहीं की गई है जिसके कारण कई लोग इसका इस्तेमाल नहीं करते है लेकिन डॉक्टरों को भी ये सुविधा देनी चाहिये।

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