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Manikarnika Movie Review: लक्ष्मी बाई के साहस, देशप्रेम और बलिदान से भरी ‘मणिकर्णिका’

कंगना ने एक बार फिर प्रमाणित किया है कि वे किसी भी तरह की फिल्म में बेमिशाल हैं। एक समय के बाद आपको फिल्म में कंगना नहीं रानी लक्ष्मी बाई ही नजर आएंगी।

Manikarnika Movie Review: लक्ष्मी बाई के साहस, देशप्रेम और बलिदान से भरी ‘मणिकर्णिका’
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‘खूब लड़ी मर्दीनी, वह तो झांसी वाली रानी थी’ इस कविता को आपने स्कूल में जरूर पढ़ा होगा। पर इस कविता को बड़े पर्दे पर उभारना आसान काम नहीं था। बॉलीवुड की क्वीन कंगना रनौत ने इसे असल में करके दिखा दिया है। उन्होंने रानी लक्ष्मी बाई के साहस, देशप्रेम और बलिदान को बाखूबी दिखाया है। ‘मणिकर्णिका: द क्वीन ऑफ झांसी’ सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। इस फिल्म में कंगना लीड रोल में हैं और फिल्म को डायरेक्ट भी खुद उन्होंने ही किया है।

कहानी बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन के वॉइस ओवर के साथ फिल्म की कहानी की शुरु होती है। मणिकर्णिका (कंगना रनौत) का लालन पालन एक योद्धा की तरह होता है वह बचपन से ही साहसी, निडर और तलवारबाजी का शौख रखने वाली होती हैं। उनका विवाह झांसी के महाराजा गंगाधर राव (जिशु सेनगुप्ता) के साथ होता है और ससुराल में मणिकर्णिका को लक्ष्मी बाई नाम दिया जाता है। महाराजा को शुरुआत में पता लग जाता है कि लक्ष्मी बाई बेहद साहसी और निडर हैं। एक षड़यंत्र की वजह से लक्ष्मीबाई को अपने पति और पुत्र खोना पड़ता है। इसके बाद अंग्रेज झांसी को हथियाना चाहते थे, पर किसी भी कीमत में लक्ष्मी बाई को गुलामी मंजूर नहीं थी। व अपनी आखिरी सांस तक अंग्रेजो से लड़ीं।  

डायरेक्शन इस फिल्म को पहले कृष डायरेक्ट कर रहे थे। पर बाद में उन्होंने फिल्म को छोड़ दिया था। बाद में डायरेक्शन की कमान कंगना ने संभाली जो कि फिल्म में दिखता है। फिल्म का फर्स्ट हाफ काफी कमजोर नजर आता था। वहीं सेकंड हाफ दर्शकों को बांधने और एंटरटेन करने में सफल रहता है। फर्स्ट हाफ को और कसा हुआ बनाया जा सकता था।

एक्टिंग कंगना ने एक बार फिर प्रमाणित किया है कि वे किसी भी तरह की फिल्म में बेमिशाल हैं। एक समय के बाद आपको फिल्म में कंगना नहीं रानी लक्ष्मी बाई ही नजर आएंगी। जिशु सेनगुप्ता लक्ष्मी बाई के पति के किरदार के साथ न्याय करने में सफल रहे। टीवी एक्ट्रेस अंकिता लोखंडे ने इस फिल्म से बॉलीवुड में डेब्यू किया है। उन्हें स्क्रीन स्पेस कम मिला है पर उन्होंने अपने किरदार के साथ न्याय किया है। वहीं कुलभूषण खरबंदा और डैनी की भी एक्टिंग सराहनीय है।

रेटिंग्स 3/5

म्यूजिक म्यूजिक फिल्म के हिसाब से सही है, देशभक्ति की भावना पैदा करता है। पर ‘देश से है प्रेम’ गाना छोड़कर और कोई गाना जबान पर नहीं बैठता।

क्यों देखें अगर आप इतिहास में रुचि रखते हैं और कंगना रनौत के फैन हैं तो आपको यह फिल्म एक बार जरूर देखनी चाहिए।  

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