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महरेरा का कारनामा: जिन बिल्डरों के खिलाफ बनाई टीम, उसी टीम के कई सदस्य हैं बिल्डर

ग्राहक पंचायत के 33 सदस्यों में से आधे से अधिक यानी 18 सदस्य खुद ही बिल्डर हैं. अब ऐसे में यह आशंका बलवती हो रही हैं कि जिस ग्राहक पंचायत के आधे से अधिक सदस्य खुद ही बिल्डर हैं तो उनके फैसला बिल्डरों के हित में अधिक होगा।

महरेरा का कारनामा: जिन बिल्डरों के खिलाफ बनाई टीम, उसी टीम के कई सदस्य हैं बिल्डर
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बिल्डरों के खिलाफ की जाने वाली शिकायतों में कमी आए और ग्राहकों के समय में भी बचत हो इसीलिए महरेरा ने सामंजस्य (सुलह) कक्ष की स्थापना की। इस सामंजस्य कक्ष में बिल्डर और ग्राहक को मिलाकर एक ग्राहक पंचायत का गठन किया गया है। इस ग्राहक पंचायत में कुल 33 सदस्य होंगे जो ग्राहकों और बिल्डरों के बीच के विवाद का निपटारा करेगी। लेकिन इस ग्राहक पंचायत की उपयोगिता पर सवाल उठ रह हैं क्योंकि ग्राहक पंचायत के 33 सदस्यों में से आधे से अधिक यानी 18 सदस्य खुद ही बिल्डर हैं। अब ऐसे में यह आशंका बलवती हो रही हैं कि जिस ग्राहक पंचायत के आधे से अधिक सदस्य खुद ही बिल्डर हैं तो उनके फैसला बिल्डरों के हित में अधिक होगा।


महारेरा के बोझ को कम करने के लिए बनाया सामंजस्य कक्ष  

बिल्डरों के विरोध में होने वाली शिकायतों के निवारण हेतु 2017 से महारेरा लागू किया गया था। महारेरा लागू होने के बाद महारेरा में भी बिल्डरों के खिलाफ लगातार शिकायतें दर्ज होने लगी। दर्ज होती शिकायतों में मुंबई सहित राजयभर के अनेक जिले शामिल थे, बढ़ती शिकायतों के मद्देनजर इनके निवारण में भी काफी विलंब होने लगा। इसीलिए अब सामंजस्य कक्ष की स्थापना का निर्णय लिया गया।


शिकायत मान्य नहीं होने पर महरेरा से लगा सकते हैं गुहार 

महरेरा में दर्ज होने वाली शिकायतों को इन सामंजस्य कक्ष में भेजा जायेगा। बिल्डर संगठन और ग्राहक पंचायत सदस्यों से गठित इस सामंजस्य कक्ष में बिल्डरों और ग्राहकों की समस्याओं का निवारण किया जायेगा। लेकिन सामंजस्य कक्ष के द्वारा दिए गए फैसले को अगर बिल्डर या फिर ग्राहक को मान्य नहीं है तो वह महारेरा से गुहार लगा सकता है।


टीम में आधे से अधिक बिल्डर 

महारेरा के घोषणापत्र में यह सुचना दी गयी थी कि जिस 33 सदस्यीय ग्राहक महापंचायत का गठन होगा उसमें आधे बिल्डर और आधे ग्राहक का पदाधिकारी होंगे लेकिन लेकिन जो टीम  बनी है उसमें 45 फीसदी  15 सदस्य ग्राहक पदाधिकारी के तो 55 फीसदी यानी 18 सदस्य बिल्डर पदाधिकारी हैं।


बिल्डर दूसरे बिल्डर के खिलाफ होंगे?

सवाल यह उठ रहा यही कि जिस महारेरा ने बिल्डरों के खिलाफ शिकायतों को देखते हुए ग्राहक पंचायत का गठन किया है उस टीम में आधे से अधिक बिल्डर ही हैं। क्या यह बिल्डर ग्राहकों के हित में अपना फैसला देंगे, इसे लेकर लोगों में आशंका है।


पंचायत की स्थापना अच्छे कार्य के लिए की गयी है लेकिन यह कितना सफल होगा इसे लेकर आशंका है, क्योंकि एक बिल्डर दूसरे बिल्डर के खिलाफ शायद ही कोई फैसला दे।

रमेश प्रभू, अध्यक्ष, महाराष्ट्र सोसायटीजवेलफेयर एसोसिएशन



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