सूचना के अधिकार (RTI) अधिनियम के माध्यम से प्राप्त जानकारी के अनुसार, बीएमसी ने 2007-2008 से मुंबई में गणपति उत्सव की व्यवस्था पर 247.79 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। यह आरटीआई गॉडफ्रे पिमेंटा द्वारा दायर की गई थी।
कोविड के दौरान भी वार्षिक खर्च 25 करोड़ रुपये से अधिक
रिपोर्ट के अनुसार, कोविड-19 महामारी के दो वर्षों के दौरान भी, वार्षिक खर्च 25 करोड़ रुपये से अधिक रहा है। कार्यकर्ताओं ने सवाल उठाए हैं कि इन वर्षों में सीमित उत्सवों के बावजूद लागत में वृद्धि क्यों जारी रही।
करोड़ों का खर्च
बीएमसी के आंकड़ों से पता चलता है कि खर्च 2007-08 में 0.32 करोड़ रुपये से बढ़कर 2024-25 में 54.47 करोड़ रुपये हो गया। अब तक का सबसे अधिक खर्च 2024-25 में 54.47 करोड़ रुपये और उसके बाद 2023-24 में 49.10 करोड़ रुपये था। इस साल BMC ने पहले ही 91 लाख रुपये खर्च कर चुका है।
बैरिकेडिंग, प्रकाश व्यवस्था, मंच निर्माण, कृत्रिम तालाब
सबसे तेज़ उछाल 2019-20 और 2020-21 के बीच आया, जब खर्च 10.2 करोड़ रुपये से बढ़कर 22.88 करोड़ रुपये हो गया, यानी 124 प्रतिशत की वृद्धि। इस खर्च में बैरिकेडिंग, प्रकाश व्यवस्था, मंच निर्माण, कृत्रिम तालाब और गणेशोत्सव के दौरान प्रदान की जाने वाली अतिरिक्त सुविधाएँ शामिल हैं।
मूर्तियों को कृत्रिम जलाशयों में विसर्जित करना अनिवार्य
2020 में, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियों को कृत्रिम जलाशयों में विसर्जित करना अनिवार्य करने संबंधी दिशानिर्देश जारी किए। कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह नीति बढ़ते खर्चों की वजह हो सकती है, क्योंकि बीएमसी 2006 से ऐसे तालाब बनवा रही है।
मूर्ति निर्माताओं को मुफ़्त शाडू मिट्टी वितरित
2024-25 में BMC ने मूर्ति निर्माताओं को मुफ़्त शाडू मिट्टी भी वितरित की और टिकाऊ प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए पर्यावरण के अनुकूल पेंट भी पेश किया। बीएमसी ने शहर भर में मूर्ति विसर्जन के लिए कृत्रिम तालाबों की संख्या भी बढ़ा दी है। इस साल, 25 वार्डों में 288 तालाब बनाए गए हैं, जबकि पिछले साल 204 तालाब बनाए गए थे। भक्तों को विसर्जन स्थलों के बाहर एलईडी स्क्रीन पर विसर्जन देखने की सुविधा भी दी जाती है।
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