बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High court) ने स्पष्ट किया है कि हर्बल या तंबाकू-मुक्त हुक्का परोसना जायज़ है। 12 हुक्का बार मालिकों की इस याचिका को स्वीकार करते हुए, उन्होंने बिना किसी कानून का उल्लंघन किए लगातार पुलिस छापेमारी और बंद करने की धमकियों के बिना अपना व्यवसाय चलाने की अनुमति मांगी है।
सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम, 2003 का कोई उल्लंघन नहीं
हालांकि, सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम, 2003 का कोई उल्लंघन नहीं होना चाहिए।अदालत ने हर्बल हुक्का की अनुमति देने वाले अपने 2019 के आदेश को दोहराया और राज्य को कानून के अनुसार सख्ती से काम करने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति रियाज़ छागला और न्यायमूर्ति फरहान दुबाश की पीठ ने बुधवार, 15 अक्टूबर को कहा कि अगर कोई शिकायत मिलती है तो अधिकारी तलाशी ले सकते हैं।
नियम तोड़नेवाले के खिलाफ कार्रवाई
पीठ ने कहा, "अगर हुक्का पार्लर में कोई तंबाकू या निकोटीन पदार्थ पाया जाता है, तो वे उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं।"रेस्टोरेंट मालिकों ने बिना किसी सूचना के पुलिस अधिकारियों के दौरे के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया था। पुलिस अधिकारियों ने उनके व्यवसाय बंद करने की धमकी दी और उनसे हर्बल हुक्का परोसना बंद करने को कहा।
याचिकाकर्ताओं में क्रॉफर्ड मार्केट स्थित उस्तादी, बांद्रा स्थित द नेस्ट, फोर्ट स्थित रस्टिको और काला घोड़ा स्थित फहम रेस्टोरेंट के मालिक और संचालक शामिल हैं।
COPTA के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन होने पर होगी कार्यवाई
पीठ ने आगे कहा कि अगर हुक्का पार्लरों में कोई नशीला पदार्थ या मादक पदार्थ परोसे जाते पाए जाते हैं, तो संबंधित कानूनों के तहत उचित कार्रवाई की जा सकती है।पीठ ने कहा कि अगर COPTA के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन होता है, तो सहायक पुलिस निरीक्षक के पद से नीचे का कोई भी पुलिस अधिकारी अधिनियम के तहत शर्तों के उल्लंघन के लिए कानूनी कार्रवाई करने के लिए अधिकृत है। इसके अलावा, उक्त अधिकारी उन हुक्का पार्लरों पर कार्रवाई कर सकता है जहाँ नशीले पदार्थ या मादक पदार्थ उपलब्ध कराए जाते हैं और उनका सेवन किया जाता है, जो पुलिस विभाग के अधिकार क्षेत्र में आते हैं।
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