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कोस्टल रोड के काम को स्टे नहीं, हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को सुप्रीम कोर्ट जाने का दिया निर्देश

अनिल साखरे ने अदालत को सूचित किया कि हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही रोक लगा दी है। इसीलिए यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।

कोस्टल रोड के काम को स्टे नहीं, हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को सुप्रीम कोर्ट जाने का दिया निर्देश
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मुंबई महानगर पालिका की एक महत्वाकांक्षी परियोजना कोस्टल रोड के लिए 600 पेड़ों को काटे जाने के विरोध में दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने याचिकाकर्ताओं को सुुप्रीम कोर्ट जाने का आदेश दिया क्योंकि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।

कोरोना संक्रमण को देखते हुए महाराष्ट्र में सभी निर्माण कार्यों पर रोक लगी है। लेकिन कोस्टल रोड का काम चालू होने पर 'सेव अवर कोस्ट' नामकी एक NGO ने विरोध जताया और इसके खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर कोस्टल रोड के निर्माण कार्य पर रोक लगाने की मांग की।

सोमवार को इस याचिका की सुनवाई बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एस.एस शिंदे की खंडपीठ के सामने हुई। 

जहां BMC के वकील ने कहा कि, कोस्टल रोड के काम को रोकने के हाई कोर्ट के अनिल साखरे ने अदालत को सूचित किया कि हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही रोक लगा दी है। इसीलिए यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।

कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की दलीलें सुनने के बाद कोस्टल रोड के निर्माण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।  उन्होंने याचिकाकर्ताओं को सुप्रीम कोर्ट जाने का निर्देश दिया क्योंकि मामला उच्चतम न्यायालय में पहले से ही लंबित है।

इससे पहले BMC ने मछुआरों और मछुआरों की आजीविका पर तटीय सड़क के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए केंद्रीय समुद्री मत्स्य संस्थान की नियुक्ति की थी।  वर्सोवा में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) - केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (सीएमएफआरआई), मुंबई अनुसंधान केंद्र का चयन किया गया।  संस्थान ने अक्टूबर 2019 में सर्वेक्षण शुरू किया और उम्मीद की गई कि प्रत्येक सीज़न के परिणामों का अध्ययन किया जाएगा।

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