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6 फरवरी को मराठा आरक्षण से संबंधित याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई

सुनवाई पूरी होने तक मराठा आरक्षण के तहत नौकरियों और शिक्षा में नियुक्तियों पर रोक जारी रहेगी

6 फरवरी को मराठा आरक्षण से संबंधित याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई
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मराठा आरक्षण मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट में दाखिल की गई सभी याचियाओं पर 6 फरवरी से अंतिम सुनवाई शुरु होगी। जस्टिस रंजीत मोरे और भारती डांगरे की खंडपीठ ने विरोध और आरक्षण के समर्थन में याचिकाओं की एक साथ सुनवाी कर रही थी। सुनवाई पूरी होने तक मराठा आरक्षण के तहत नौकरियों और शिक्षा में नियुक्तियों पर रोक जारी रहेगी।

50% कोटा की सीमा का उल्लंघन

वकिल सदावर्ते के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है, “मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस द्वारा लाया गया कानून असंवैधानिक है और यह आरक्षण के सिद्धांत के खिलाफ है। यह 50% कोटा की सीमा का उल्लंघन करता है और खुले वर्ग में सिर्फ 32% लोग ही आ पाएंगे"। पिछली सुनवाई में, मामले में याचिकाकर्ताओं ने राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट की एक प्रति मांगी थी, जिसकी सिफारिशों के आधार पर, आरक्षण दिया गया ।

अदालत ने इस पर राज्य से जवाब मांगा था। राज्य के वकील वीए थोराट और महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोनी ने कहा था कि सरकार अदालत में रिपोर्ट की एक प्रति प्रस्तुत करने के लिए बाध्य थी, लेकिन उसे वकीलों को रिपोर्ट देने के बारे में कोई बाध्यता नही थी। सरकार के वकिल का कहना है की वो मराठा आरक्षण के रिपोर्ट के कुछ हिस्सो सार्वजनिक नहीं करना चाहते क्योकी सरकार को डर है की कही इससे से सांप्रदायिक तनाव और कानून व्यवस्था की समस्या ना पैदा हो जाए।

अदालत ने हालांकि उन्हें 28 जनवरी तक पूरी रिपोर्ट देने को कहा, और उस दिन यह तय करेगी कि पूरी रिपोर्ट याचिकाकर्ताओं को दी जानी है या कुछ अंशों को काट दिया जाना चाहिए।

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