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मुंबई में घर लेना मतलब बड़ा झमेला


मुंबई में घर लेना मतलब बड़ा झमेला
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मुंबई सपनों की नगरी है और इस सपनों की नगरी में हर कोई पहला सपना देखता है घर का। घर बोले तो बड़ी बात, यह तो लोगों के मुंह से आपने खूब सुना होगा। पर उससे भी बड़ी बात रेंट पर घर लेना है। मुंबई में हर राज्य के लोग रहते हैं। कोई यहां अमिताभ बच्चन जैसे मशहूर एक्टर, तो कोई ए आर रेहमान जैसा सिंगर और कोई अंबानी जैसा बड़ा बिजनेसमैन बनने के लिए आता है। तो वहीं ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है जो सिर्फ अपना घर चलाने के लिए कुछ पैसा कमाने मुंबई आते हैं, कई लोग तो अपना परिवार भी घर छोड़कर ही मुंबई चले आते हैं। रोटी, कपड़ा और मकान इंसान की मूलभूत आवश्यक्ताएं हैं, अब चाहे वह अमीर हो या गरीब, अब वह चाहे मोटी वेतन उठाता हो यह मजदूरी करता हो। किसी का भी जीवन इन मूलभूत आवश्यक्ताओं के बिना आगे नहीं बढ़ सकता। मुंबई में खाना और कपड़ा तो थोड़ा आसान है पर घर मिलना मुश्किल। कोई अपने घर के सामने रुकने भी नहीं देता। शायद इसे वही सही से परिभाषित कर पाए जिस पर यह गुजर चुकी है।  

मुंबई में घर खरीदना हमेशा से एक सपना जैसा था, समय के साथ यह सपना और भी मुश्किल होता चला गया। आज अगर आपको मुंबई में घर खरीदना है, या भाड़े पर लेना है तो आपको तरह तरह की समस्याओं से गुजरना पड़ेगा।

क्या आप नॉनवेजिटेरियन हैं?

मुंबई में मारवाड़ी और गुजरातियों की संख्या काफी है, ये लोग ज्यादातर व्यवसायी होते हैं। मारवाड़ी और गुजराती समाज में खासकर जैन नॉनवेज नहीं खाते हैं, इसलिए मुंबई की जिन सोसायटी में इनकी संख्या अधिक होती है और आप नॉनवेजिटेरियन हैं तो आपके लिए ऐसी सोसायटी में फ्लैट नहीं ही है, ऐसा समझें। क्योंकि यहां फ्लैट खरीदना या किराए पर लेना टेढ़ी खीर है। हालांकि यहां पर आपकी थोड़ी सी इज्जत भी जरुर रखी जाएगी, आपको बोला जाएगा कि यहां पर फ्लैट्स खाली ही नहीं हैं।

इस तरह के मामले बीच बीच में एक नहीं कई उभरकर सामने आए, राजनैतिक पार्टियों ने इस मुद्दे को जोर शोर से उठाया भी। 2014 में मनसे ने सदन में प्रस्ताव रखा कि व्यक्ति का भोजन तय नहीं कर सकता कि उसे घर दिया जाए या नहीं। इस प्रस्ताव को पास कर दिया गया, जिसके अनुसार एमसी ऐसे किसी भी बिल्डर को डिसअप्रूवल (आईओडी), कॉमेंट सर्टिफिकेट (सीसी) और पानी का कनेक्शन नहीं देगी, जो नॉनवेज खाने वाले लोगों को फ्लैट या घर देने से इनकार करेंगे।

पर समस्या यह है कि यह लिखित में नहीं नहीं दिया जाता है कि आपको इसलिए घर नहीं दिया जा रहा है कि आप नॉनवेज खाते हैं, यह मौखिक होता है इसलिए लोगों के पास समस्या है सबूत जुटाने की। हाल ही में बीएमसी ने कहा है कि इस तरह के मामलों में लोगों को पुलिस की मदद लेने की आवश्यक्ता है।

क्या आप बैचलर हैं ?

यह सुनकर तो आप एक बार जरूर सोचेंगे कि यार काश शादी कर ली होती। फिर ये भी खयाल आ सकते हैं कि क्या शादी ना करना सबसे बड़ा पाप है? अरे यार शादी नहीं हुई तो क्या मेैं आतंकवादी हूं? इसके अलावा अगर आपका परिवार गांव में हैं तो आप सिर्फ खुद को कोस ही सकते हैं। अगर आप सोच रहें हैं कि यह क्या है, तो इसका मतलब है कि आपका घर लेने से अब तक कोई वास्ता ही नहीं रहा है।

इस तरह की समस्या से ज्यादातर स्ट्रगलिंग एक्टर्स को गुजरना पड़ता है क्योंकि वे अपने समने पूरे करने मुंबई में अकेले ही आते हैं। हाल ही में एक्ट्रेस निधी अग्रवाल से इसलिए फ्लैट खाली करवाया गया है, क्योंकि वे बैचलर हैं, साथ ही एक्ट्रेस हैं। निधी अग्रवाल टाइगर श्रॉफ की आने वाली फिल्म  मुन्ना माइकल में उनके अपोजिट काम कर रही हैं।

ऐसा माना जा रहा है कि जबसे मुंबई में आतंकी हमले हुए हैं तबसे लोग बैचलर्स को किराए पर फ्लैट देने से बचने लगे हैं। क्योंकि मकान मालिक या बिल्डर को लगता है कि अकेला आदमी कोई भी क्राइम करके भाग सकता है। हालांकि इस तरह का कोई लॉ नहीं है कि बैचलर को रेंट पर फ्लैट ना दिया जाए पर यह होता है।

रोहित शर्मा (29) का कहना है, मैं 2014 में मुंबई आया था, मैंने फ्लैट रेंट पर लेने के लिए बहुत कोशिश की पर मुझे सिंगल होने की वजह से फ्लैट रेंट में नहीं मिल सका। थक हारकर मैंने अपनी कंपनी ट्रावेल्स एजेंसी जहां में काम करता था वहां पर रहने की व्यवस्था करने की बात कही। तब जाकर उन्होंने मेरे लिए रहने की व्यवस्था की।

क्या आपके पास सभी डॉक्यूमेंट्स हैं ?

मुंबई आने से पहले आपके डॉक्यूमेंट्स चाहे भले ही यूजलेस रहे हों, पर यहां आकर आपको घर का नाम लेते ही इनकी अहमियत समझ में आ जाएगी। दरअसल फ्लैट को खरीदने या किराए पर लेने के लिए आपसे सबसे पहले पूछा जाएगा कि डॉक्यूमेंट्स में आपके पास क्या क्या है? एड्रेस फ्रूफ में क्या है ? आईडी फ्रूफ में क्या है? अगर इनमें आफ फेल हुए तो फिर आपके घर का सपना, सपना ही बनकर रह गया।

ग्रिजेश त्रिपाठी (32) का कहना है, मैं 10 साल पहले मुंबई आया था, आईटी कंपनी ज्वाइन किया पर घर के लिए दर दर भटका। मेरे पास प्रोपर डॉक्यूमेंट्स नहीं थे इसलिए घर नहीं मिला। आखिरकार मुझे अपने बड़े भाई की फैमली के साथ शिफ्ट होना पड़ा।

रिलीजन के नाम पर भी मिलते हैं घर ?

मुंबई में बहुत सारी सोसायटी ऐसी भी हैं जो मुस्लिम को फ्लैट नहीं देती हैं, चाहे वे किराए पर ले रहे हों या खरीद रहे हों। आम आदमी तो इसकी चपेट में आता ही है, बॉलीवुड एक्टर एक्ट्रेस भी इससे अछूते नहीं हैं। इमरान हाशमी को भी मुस्लिम होने का हरजाना भुगता पड़ा था। दरअसल बात 2009 की है इमरान मुंबई के पाली हिल में एक घर खरीदना चाहते थे पर उन्हें मुस्लिम होने की वजह से  नहीं दिया गया था, हालांकि कुछ लोगों ने  उनसे कहा था कि आपकी पत्नी हिन्दू हैं, तो आप अपनी पत्नी के नाम पर घर ले लें। इसके बाद 2015 में वडाला की एक इमारत में रहने वाली मिसबा कादरी को इसलिए घर से निकाल दिया गया था क्योंकि वे मुस्लिम थी। उन्होंने आरोप लगाए थे कि उन्होंने पैसे भी भर दिए थे फिर भी उन्हें फ्लैट से निकाल दिया गया था।

लेट नाईट जॉब बड़ी मुसीबत

फ्लैट मिल गया, आपको लग रहा होगा यहां से सारी मुसीबतों का खात्मा, पर रुकिए अगर आपकी शिफ्ट लेट नाईट की है या आप कॉल सेंटर में काम करते हैं तो आपकी मुसीबतें अभी खतम नहीं हुई हैं। क्योंकि बहुत सारी सोसायटी में रात 12 बजे के बाद आने की परमिशन नहीं है। आपको सुनकर लग रहा होगा कि अब यह क्या है, पर यह सच है। साथ ही अगर आप लड़की हैं तो आपके कैरेक्टर पर भी उंगलियां उठ सकती हैं।

कचरे पर भी नजर

अगर आपने यह बोलकर घर लिया कि आप वेजिटेरियन हैं और आपको घर मिल गया तो आप ज्यादा खुश ना हों क्योंकि पड़ोसियों की नजर आपके कचरे में भी हो सकती हैं। कहीं अण्डे के छिलके कचरे में मिल गए तो भी आपसे फ्लैट खाली कराया जा सकता है।

खाने की महक भी रूला सकती है

किस्सा वही है अगर आपने वेजिटेरियन बोलकर कहीं फ्लैट ले लिया है और आपका मन बिना नॉनवेज खाए नहीं माना तो भी आप फंस सकते हैं। क्योंकि आपके पड़ोसियों की नाक आपके खाने पर भी लग सकती है।


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