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आम लोगों के लिए मुफ्त स्वास्थ्य देखभाल के लिए बीएमसी अस्पतालों में 'जीरो प्रिस्क्रिप्शन नीति' लागू करने के निर्देश

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का मनपा आयुक्तों को निर्देश

आम लोगों के लिए मुफ्त स्वास्थ्य देखभाल के लिए बीएमसी अस्पतालों में 'जीरो प्रिस्क्रिप्शन नीति' लागू करने के निर्देश
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मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ( eknath shinde)  ने मुंबई नगर निगम  (bmc)  आयुक्त इकबाल सिंह चहल को निर्देश दिया है कि मुंबई नगर निगम अस्पताल (BMC Hospital)  में प्रदान की जाने वाली सभी चिकित्सा सुविधाएं और दवाएं प्रदान करने के लिए 'जीरो प्रिस्क्रिप्शन नीति' (Zero Prescription Policy) को लागू करने के लिए विस्तृत समीक्षा के बाद एक व्यापक रिपोर्ट प्रस्तुत की जानी चाहिए। मुंबई नगर पालिका 'जीरो प्रिस्क्रिप्शन पॉलिसी' लागू करने वाली देश की पहली नगर पालिका होगी और इस प्रकार स्वास्थ्य सेवाएं मुफ्त और पूरी तरह से लोगों पर केंद्रित होंगी। (Instructions to implement 'Zero Prescription Policy' in BMC hospitals for free health care for common people)

मुख्यमंत्री ने अस्पताल का किया दौरा

सीएम शिंदे ने केईएम  (KEM Hospital) अस्पताल का दौरा किया। उस समय मरीजों और नागरिकों से चर्चा के दौरान कुछ त्रुटियां बताई गईं। नगर निगम अस्पताल में उपलब्ध दवाएं और संसाधन रिश्तेदारों के माध्यम से मरीजों के इलाज पर खर्च किए जाते हैं। गरीब मरीजों को इन लागतों का अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ता है। स्वास्थ्य देखभाल पर अपनी जेब से खर्च करने के कारण लगभग 10 प्रतिशत नागरिक गरीबी रेखा से नीचे आ गए हैं।नगर निगम को नगर अस्पतालों के माध्यम से गरीब मरीजों को मुफ्त सेवाएं प्रदान करने के लिए "जीरो प्रिस्क्रिप्शन नीति" लागू करने का निर्देश दिया गया है। इसके लिए मुख्यमंत्री ने नगर आयुक्त को इस संबंध में विस्तृत अध्ययन कर रिपोर्ट देने का भी निर्देश दिया है।  

बीएमसी के माध्यम से 4 मेडिकल कॉलेज, 1 डेंटल कॉलेज, 16 उपनगरीय अस्पताल, 5 विशेष अस्पताल, 30 प्रसूति अस्पताल, 192 औषधालय चल रहे हैं। इसके अलावा 202 हिंदू हृदय सम्राट बालासाहेब ठाकरे "आपला दवाखाना" भी कार्यरत है। इस चिकित्सा प्रणाली के अस्पतालों में 7100 बिस्तर, उपनगरीय अस्पतालों में 4000, विशेष अस्पतालों में 3000 और अन्य कुल मिलाकर लगभग 15 हजार बिस्तर हैं। इसमें प्रतिदिन 50,000 से अधिक मरीज बाह्य रोगी सेवाओं से लाभान्वित होते हैं। साथ ही, सालाना औसतन 20 लाख से अधिक मरीज अंतर-रोगी सेवाओं से लाभान्वित होते हैं।

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