सीपीआई (एम), शिवसेना और कांग्रेस से संबद्ध श्रमिक संघों के लगभग 50,000 लोग आजाद मैदान में अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस के रूप में मनाए जाने वाले 1 मई को विरोध का आयोजन करेंगे। इस श्रमिक संगठनों का आरोप है की सरकार की श्रम नीतियों से उन्हे कोई लाभ नहीं हुआ है और वो मजदूरो के खिलाफ है। आरएसएस से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ ने कहा कि वह विरोध में हिस्सा नहीं लेगा।
क्या है मजदूरों की मांग
विरोध संघों की मांगों में श्रम कानूनों में प्रस्तावित संशोधन, सभी श्रमिकों को 18,000 रुपये का न्यूनतम मासिक वेतन, अनुबंध प्रणाली का उन्मूलन, समान कार्य के बराबर वेतन , श्रमिकों और किसानों को 3,000 पेंशन, सार्वजनिक परिवहन सेवाओं का आधुनिकीकरण और किसानों के लिए कर्ज माफी भी शामिल है।
भारतीय कामगार सेना, भारतीय राष्ट्रीय व्यापार संघ कांग्रेस, हिंद मजदूर सभा और अन्य श्रम संगठनों ने गुरुवार को एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर इस बात की जानकारी दी।