बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को डॉक्टरों के रवैये पर नाराजगी व्यक्त की, जो दावा करते हैं कि मेडिकल कॉलेजों में रैगिंग और जूनियर के साथ बूरा व्यवहार करना आम बात है। बीवाईएल नायर अस्पताल के तीन डॉक्टरों की जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरा हाईकोर्ट ने ये अवलोकन किया। इन तीनों डॉक्टर पर अपने जूनियर सहकर्मी डॉ पायल तडवी को आत्महत्या के लिए उत्कसाने का आरोप है।
न्यायमूर्ति साधना जाधव की एक पीठ ने पूरी जांच में "कमियां"
के लिए मुंबई पुलिस की अपराध शाखा को भी दोषी ठहराया। पीठ ने जांच दल को दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी)
के प्रावधानों के अनुसार एक मजिस्ट्रेट अदालत के समक्ष मामले में सभी संबंधित गवाहों के बयान दर्ज करने का भी आदेश दिया है।
न्यायमूर्ति जाधव ने कहा, "यह किस तरह का रवैया है?
यदि ये डॉक्टर किसी व्यक्ति से सही तरिके से व्यवहार नहीं कर सकते तो वे कैसे दूसरों से अच्छे व्यवहार की उम्मीद रखते है?
ऐसा प्रतीत होता है कि यह एक नॉबल पेशा नहीं है।"सुनवाई के दौरान,
विशेष सरकारी वकील,
राजा ठाकरे ने तीन डॉक्टरों -
हेमा आहूजा,
भक्ति मेहेरे और अंकिता खंडेलवाल के खिलाफ दायर आरोप पत्र को भी पढ़ा।
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