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चुनाव में झूठी जानकारी देने वाले नगरसेवकों पर बीएमसी इतनी मेहरबान क्यों?

बीएमसी ने उन 21 नगरसेवकों के खिलाफ अभी तक कोई भी कार्रवाई नहीं की है जिन्होंने चुनाव के समय फर्जी जाति प्रमाणपत्र बना कर अटैच किये थे।

चुनाव में झूठी जानकारी देने वाले नगरसेवकों पर बीएमसी इतनी मेहरबान क्यों?
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बीएमसी ने उन 21 नगरसेवकों के खिलाफ अभी तक कोई भी कार्रवाई नहीं की है जिन्होंने चुनाव के समय फर्जी जाति प्रमाणपत्र बना कर अटैच किये थे। इन सभी को फर्जी जाती प्रमाणपत्र अटैच करने के आरोप में अयोग्य घोषित कर हटा दिया गया था लेकिन इनके ऊपर न तो कोई कार्रवाई हुई और आज तक न ही कोई मामला दर्ज हुआ। इसका खुलासा एक आरटीआई के जवाब से सामने आया. इन नगरसेवकों में साल 2007 से लेकर साल 2017 तक के नगरसेवक शामिल हैं।

मुंबई के जानेमाने आरटीआई एक्टिविस्ट अनिल गलगली ने आरटीआई के तहत यह जानकारी मांगी थी कि अयोग्य नगरसेवकों के खिलाफ अभी तक क्या कार्रवाई की गयी है?

इस आरटीआई का जवाब देते हुए बीएमसी ने बताया कि नगरसेवकों को अयोग्य ठहराये जाने के बाद से किसी के भी खिलाफ मामला दर्ज नहीं किया गया है।

21 पार्षदों में से अधिकांश नगरसेवकों को फर्जी जाति प्रमाण पत्र सौंपने के लिए अयोग्य ठहराया गया जबकि एक नगरसेवक को दो बच्चों के नियम का उल्लंघन करने के लिए अयोग्य ठहराया गया था। ये नगरसेवक साल 2007, 2012 और 2017 के निकाय चुनावों में निर्वाचित हुए थे। 

आपको बता दें कि ऐसे मामलों को चुनाव याचिकाओं विभाग अल्पवाद न्यायालयों यानी स्मॉल कॉज कोर्ट  में भेज देता है।

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