मुंबई में एक बड़ी तादाद होटलों में खाना खाती है। बीएमसी के लाख कोशिशों के बाद भी कई बार इन होटलों के किचन में साफ सफाई को लकेर शिकायतें आती रही है। बीएमसी के साथ साथ एफडीए ने भी कई बार कई होटल के किचन पर कार्रवाई भी की है लेकिन अभी तक होटल के किचन में गंदे तरिको से खाना बनाने की कई वारदातेंं सामने आ चुकी है। होटलों के इन रवैयों के कारण ग्राहको के स्वास्थ पर इसका बूरा असर होता है। होटलों के इन्ही रवैये को देखते हुए शिवसेना नगरसेविका तेजस्वी घोसालकर ने बीएमसी में प्रस्ताव रखा है की होटल में खाना खाने आनेवाले ग्राहको को होटल के किचन को देखने की इजाजत दी जाए।
होटल मालिकों की बढ़ेगी जिम्मेदारी
होटल के किचन को साफ सुधरा रखने की जिम्मेदारी होटल मालिक की होती है लेकिन होटल मालिक इन सभी जरुरी बातों पर ध्यान नहीं देते है और गंदे परिसर में ही खाना बनाते है जिससे ग्राहको की सेहत पर भी बूरा असर होता है। बीएमसी अधिनियम 394 के तहत बीएमसी के किसी भी अधिकारी को होटल के किचन में जाने की इजाजत है लेकिन आम नागरिको को ये इजाजत फिलहाल नहीं मिली हुई है। तेजस्वी घोसालकर का कहना है की अगर ग्राहको को इस तरह की इजाजत मिल जाए तो वह संतुष्ठ होकर खाना खा सकते है और इसके साथ ही होटल मालिको पर भी किचन को साफ रखने की जवाबदारी बढ़ जाएगी।
नोटिस लगाकर
ग्राहको को दे जानकारी
तेजस्वी घोसालकर का कहना है की 'किचन
में गंदगी होने के कारण उल्टी , जुलाब , हैपेटाइटीस बी , टाइफाइड, ग्लास्टो
जैसी बीमारियां होने की संभावना है , जिसे देखते हुए प्रत्येक ग्राहको को
होटल के किचन को देखने की इजाजत दी जाए"। इसके साथ ही तेजस्वी घोसालकर ने
भी मांग की है की होटलों के मालिको को होटल के प्रवेश द्वार पर नोटिस लगाकर
ग्राहको को इस बारे में जानकारी भी देनी चाहिये।
74 फीसदी रेस्टोरेंट, होटल या पब खाने के योगय नहीं
एफडीए के
अधिकारियों के मुताबिक मुंबई के 74 फीसदी रेस्टोरेंट, होटल या पब ऐसे हैं
जहां बनने वाले खाद्य पदार्थ खाने के योग्य नहीं होते। एफडीए के अधिकारियों
ने एक विशेष मुहीम चला कर मुंबई के 442 रेस्टोरेंट और होटलों के रसोई की
जांच की, जिसमें से 327 होटलों और रेस्टोरेंट के किचन को अनहाइजैनिक बताया
गया है।
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