कर्नाटक में एससी-एसटी आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट के द्वारा हरी झंड़ी मिलने के बाद अब महाराष्ट्र राज्य सरकार ने भी राज्य में SC/ST
प्रमोशन कोटा के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया है। राज्य में 15,000
से अधिक SC / ST, VJNT (विमुक्त जाति,
घुमंतू जनजाति),
और
SBC (विशेष पिछड़ा वर्ग)
के कर्मचारी है जिनका प्रमोशन पर 2017
में बॉम्बे हाईकोर्ट के एक फैसले के बाद से रोक लगी हुई है जिसका जीआर 2004
में निकला था। सरकार ने अब इस फैसले को लेकर और इसके साथ ही कर्नाटक पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर सर्वोच्च न्यायालय जाने का फैसला किया है।
क्या है कर्नाटक का मामला
सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक में एससी-एसटी आरक्षण को हरी झंडी दे दी है। कर्नाटक के मौजूदा मामले में राज्य सरकार ने रटना प्रभा कमेटी बनाकर डाटा जमा किया और साबित किया की आरक्षण कि ज़रूरत है इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने वहा आरक्षण को हरी झंडी दे दी।सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कर्नाटक सरकार के 2018 के उस क़ानून को बरक़रार रखा जिसमें अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के कर्मचारियों को पदोन्नति एवं वरिष्ठता क्रम में आरक्षण की व्यवस्था की गई है
क्या था 2004 के जीआर में
2004 के जीआर के मुताबिक इन जातियों को प्रोन्नति में 33% आरक्षण दिया जाता है जो अवर सचिव, उप सचिव और सचिव स्तर के अधिकारियों के तहत आते है। बीएमसी और बेस्ट में इन जातियों को प्रोन्नति में 33% आरक्षण दिया जाता है, हालांकी साल 2017 में बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले के बाद इसे रद्द कर दिया गया।
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