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कोरोना की वजह से काम हुआ बंद लेकिन 50 बेसहारा जानवरों का सहारा बने हैं टैक्सी चालक मिश्रा

वे बताते हैं कि इस समय लॉक डाउन की स्थिति में वे सुबह और शाम कुत्तो और बिल्लियों को खिलाने में करीब 500 रुपये खर्च आ रहा है जबकि पहले आम दिनों में 150 से 200 रुपए में काम हो जाता था

कोरोना की वजह से काम हुआ बंद लेकिन 50 बेसहारा जानवरों का सहारा बने हैं टैक्सी चालक मिश्रा
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कोरोना वायरस इस समय विश्वव्यापी संकट बन गया है, जिससे बचने के लिए तालाबंदी शुरू की गई है। इस स्थिति में इंसान किसी तरह से अपने जीवन यापन की कोशिश कर रहा है, इंसानों के जहां खुद लाले पड़े हैं तो भला ऐसे में जानवरों की कौन सुध लेगा। लेकिन ऐसे समय मे बहुत जम लोग ऐसे होते हैं जो जानवरों के लिए भी सोचते है, इनमें से एक हैं रामावतार मिश्र। रामावतार हर दिन दोनों समय लगभग 50 से अधिक कुत्तों और बिल्लियों के लिए भोजन पानी का प्रबंध करते हैं।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मुंबई के साकीनाका में रहने वाले रामावतार यूपी के भदोही जिले के रहने वाले हैं और मुंबई में टैक्सी चला कर अपना जीवन यापन करते हैं। हालांकि इस मुश्किल समय मे ऐसी कई सारी गैरसरकारी संस्थाओं की तरफ से भी पशुओं के लिए खाने पीने के प्रबंध किये जा रहे हैं, लेकिन रामावतार ऐसे हैं जो संकट की इस घड़ी में सुबह-शाम उन जानवरों को खाना खिला रहे हैं, जो बेसहारा हैं।

रामावतार का कहना है कि, वे पिछले 7 सालों से बेसहारा कुत्ते और बिल्लियों को खाना खिला रहे हैं। लेकिन इस 21 दिन के लॉकडाउन में आम लोगों के साथ ही इन जानवरों को भी खाने के लाले पड़ गए हैं। चूंकि इस समय विषम परिस्थिति है, इसलिए जानवर भी भूखे रह रहे हैं। लॉक डाउन जी वजह से रामावतार काम पर भी नहीं जा पा रहे हैं लेकिन पहले की ही तरह वे रोजाना अभी भी करीब 50 कुत्तो और बिल्लियों को बिस्कुट दूध इत्यादि खिलाते पिलाते हैं।

उनका कहना है कि उनका काम इस समय बंद है और ऐसे में उनका खुद का खर्च चलाना मुश्किल हो गया है लेकिन फिर भी वेे दुकानदार के यहां उधारी लेकर जानवरों को खाना खिला रहे हैं। हालांकि कभी-कभी कुछ लोग उन्हें पशुओं के भोजन खिलाने में आर्थिक मदद भी कर देते हैं जिसे वे सहर्ष स्वीकार कर लेते हैं।

रामावतार कहते हैं कि लॉक डाउन खत्म होने पर टैक्सी चलाकर दुकानदार का बकाया लौटा दूंगा। परन्तु इस समय उन बेसहारा जानवरों को भोजन की ज्यादा जरूरत है।

वे बताते हैं कि इस समय लॉक डाउन की स्थिति में वे सुबह और शाम कुत्तो और बिल्लियों को खिलाने में करीब 500 रुपये खर्च आ रहा है जबकि पहले आम दिनों में 150 से 200 रुपए में काम हो जाता था लेकिन इस समय ज्यादा खर्चा हो रहा है।

इसके बाद भी वे कहते हैं कि जिस तरह से ऊपरवाला मेरा पेट भर रहा है उसी तरह से इन जानवरों का भी वही भरेगा।

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