मॉस्क की कालाबाजारी और करोड़ों की कमाई

राज्य स्वास्थ्य गारंटी सोसाइटी मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुधाकर शिंदे की अध्यक्षता में बनायी गई समिति ने जब मॉस्क बनाने वाली कंपनी के कागज़ातों की तलाश की तो इस बात का खुलासा हुआ कि इस कंपनी ने साढ़े तीन करोड़ की जगह सवा सौ करोड़ का मुनाफा कमाया है।

मॉस्क की कालाबाजारी और करोड़ों की कमाई
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कोरोना महामारी (Coronavirus pandemic) से बचाव के लिए अब दश के हर नागरिक से अपील की रही है कि घर से बाहर निकलें तो मॉस्क जरूर पहनें लेकिन अगर आपको यह पता चला कि मॉस्क (mask) की भी कालाबाजारी हो रही है तो बात कुछ हजम नहीं होगी, लेकिन सच तो सच होता है, उसे झूठलाना मुश्किल होता है। मॉस्क की कालाबाजारी किसी छोटे-मोटे शहर में नहीं हुई है, यह देश की आर्थिक राजधानी मुंबई (mumbai) में हुई है। एक वक्त ऐसा भी गुजारा है जब देश ने चारा घोटाले के बारे में सुना तो सभी हैरान रह गए थे और अब देश की आर्थिक राजधानी में मुंबई में मॉस्क की कालाबाजारी का खुलासा हुआ है। मॉस्क की कालाबाजारी वह भी करोड़ों की। सुनने में कितना अजीब लगता है, मॉस्क की कालाबाजारी करने वालों का मन कितना काला होगा, यह बात इस माध्यम से सामने आई है। 

राज्य स्वास्थ्य गारंटी सोसाइटी मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुधाकर शिंदे की अध्यक्षता में बनायी गई समिति ने जब मॉस्क बनाने वाली कंपनी के कागज़ातों की तलाश की तो इस बात का खुलासा हुआ कि इस कंपनी ने साढ़े तीन करोड़ की जगह सवा सौ करोड़ का मुनाफा कमाया है। कोरोना जैसी महामारी में इस तरह की मुनाफाखोरी क्या बताती है। एक तरह कारोना काल में बहुत सारे योद्धा सामने आए तो मॉस्क के नाम पर कालाबाजारी करने वाली कंपनियां सामने आयीं। क्या यही मानवता है। मॉस्क की कालाबाजारी के मामले में राज्य सरकार ने वीनस तथा मैग्नम नामक दो कंपनियों के आर्थिक व्यवहार की तफ्तीश की तो इस बात का खुलासा हुआ कि अकेली वीनस कंपनी का नफा वित्त वर्ष 2016-17 में 3 करोड़, 71 लाख रूपए था, जो 2019-20 इस वित्त वर्ष में 15 करोड़, 70 लाख पहुंच गया, जबकि 2020-21 में नफे की धनराशि बढ़कर 125 करोड़ रूपए हो जाएगी। एक कंपनी एक साल में इतना ज्यादा नफा कैसे कमा सकती है, यही सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात है। 

मैग्नम कंपनी का 2016-17 इस वित्त वर्ष में नफा 25 लाख रूपए था, जो 2018-19 के वित वर्ष में 57 लाख रूपए हो गया। 2019-20 में इस कंपनी का नफा 30 करोड, 25 लाख रूपए हो गया, यह धनराशि कर भरने के बाद की बतायी जा रही है। इस कंपनी का चालू वित्त वर्ष में कमाई 87 करोड़, 61 लाख रूपए तक जाने का अनुमान व्यक्त किया जा रहा है। दोनों कंपनियों ने मॉस्क की बिक्री करके इतना ज्यादा नफा कैसे कमाया, इसे  लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। यह तो केवल दो कंपनियों की बात हुई, न जाने कितनी कंपनियां मॉस्क के माध्यम से करोड़ों की कमाई कर रही हैं, इसका खुलासा तो जांच के बाद ही होगा। मॉस्क उत्पादन कंपनियां, क्षेत्रीय अध्ययन गट तथा सरकारी अधिकारियों के साथ समिति ने कई बार चर्चा की तो यह सच सामने आया कि मॉस्क उत्पादक कपनियों को अपना पक्ष रखने के लिए कई बार अवसर दिया गया लेकिन वीनस कंपनी ने मुनाफे के बारे में जानकारी देने से स्पष्ट मना कर दिया। मॉस्क का मूल्य कितना होना चाहिए, नफे के साथ, इसका मूल्य-मापन होना चाहिए, अगर ऐसा नहीं किया गया तो कपनियां मनमाना पैसा वसूलने में कोई गुरेज नही करेंगी। कोरोना महामारी के वर्तमान दौर में मॉस्क हर घर के हर सदस्य की जरूरत बन गया है। जो मॉस्क कभी कुछ लोगों तक ही सीमित था, वह आज सभी की जरूरत बन गया है, ऐसे में मॉस्क बनाने वाली कंपनियां सिर्फ अपने मुनाफे के लिए मॉस्क की मनचाही कीमत ले रही हों, तो क्या ऐसी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होनी चाहिए, निश्चित ही होनी चाहिए। 

कोरोना महामारी से जूझते पूरे विश्व के बीच मॉस्क के नाम पर मुनाफा देखने वाली कंपनियों की अच्छे किस्म के मॉस्क के रूप में की गई कालाबाजारी की कीमत आज नहीं तो कम चुकानी ही पड़ेगी। केंद्र सरकार की ओर से तय की गई कीमत की तुलना मे राज्य सरकार की ओर से तय की गई कीमतें कम हैं। केंद्र सरकार ने मार्च माह में मॉस्क तथा सैनेटाइजर जैसी जरूरी वस्तुओं की कीमतें तय करके इसके माध्यम से नफाखोरों पर अंकुश लगाने की कोशिशें तो जरूर की लेकिन नफाखोरी करने वालों ने यहां भी कालाबाजारी करने में सफलता हासिल कर ली। जब इस देश में चारा घोटाला हो सकता है तो फिर मॉस्क के नाम पर कालाबाजारी होना कोई बड़ी बात नहीं है। कंपनियां मुनाफ कमाएं, लेकिन मुनाफाखोरी इतनी ज्यादा न हो कि उससे यह लगने लगे कि कंपनियां ग्राहकों के साथ ठगी है। 5 रूपए का मॉस्क अगर 15 रूपए में बेचकर अगर कोई कंपनी मुनाफा कमा रही हो तो वह नियमानुसार गलत हैं तो फिर 50 रूपए के मॉस्क तो अपनी मर्जी की दर के बेचा जाएगा, तो उसका विरोध होना लाजिमी है। मॉस्क के नाम पर करोड़ों का मुनाफा कमाने वाली कंपनियों ने तो हद कर दी है और यदि ऐसा ही होता रहा तो मॉस्क के नाम पर जारी यह कालाबाजारी पूरे देश के मॉस्क बाजार को अपने घेरे में ले लेगी। मॉस्क की कालाबाजारी आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते भारत के लिए एक कलंक की तरह है, इस कंलक को अगर स्थायी रूप से दूर करना है तो बड़ी कंपनियों के मंहगे मॉस्क का बहिष्कार करना ही होगा, तभी अच्छे मॉस्क के नाम पर करोड़ों का नफा कमाने वाली कंपनियों की कालाबाजारी पर विराम लगेगा और ज्यादा मुनाफा कमाने वाली कंपनियों की अक्ल ठिकाने पर आएगी।

Note : यह लेखक की खुद की रिपोर्ट है। इस रिपोर्ट का मुंबई लाइव से कुछ भी संबंध नहीं है।

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