पिछले दो सालों में सात से अधिक मेफेड्रोन (एमडी) फैक्ट्रियों का भंडाफोड़ करने वाली मुंबई पुलिस ने पहले नौ महीनों में 485 करोड़ रुपये की ड्रग्स जब्त की है। इस संबंध में 860 मामले दर्ज किए गए हैं और 1010 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। इस साल एमडी पुलिस ने विभिन्न गतिविधियों में सबसे ज्यादा 450 करोड़ रुपये जब्त किए हैं। (Drugs worth INR 485 crore seized by Mumbai Police in a year)
पिछले साल इसी अवधि के दौरान केवल 62 करोड़ रुपये की ड्रग्स जब्त की गई थी। मुंबई पुलिस की कार्रवाई में ड्रग्स का सेवन करने वाले 5090 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पिछले साल की तुलना में इस साल मादक पदार्थ विरोधी अभियानों में कमी आई है और पिछले साल इसी अवधि (सितंबर तक) में मुंबई में 62.57 करोड़ रुपये की ड्रग्स जब्त की गई थी।
इसकी तुलना में इस साल जब्त की गई ड्रग्स की कीमत ज्यादा है। पिछले नौ महीनों में गांजा से जुड़े 538 मामले सामने आए हैं। इन मामलों में पुलिस ने 561 लोगों को गिरफ्तार किया और 2.56 करोड़ रुपये की मारिजुआना जब्त की। एमडी रखने और बेचने के 191 मामले दर्ज किए गए हैं। इसमें 275 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। साथ ही 449 करोड़ रुपये की कीमत की एमडी जब्त की गई।
हशीश से जुड़े 31 मामले सामने आए। 37 गिरफ्तारियां की गईं और 12.89 करोड़ रुपये की ड्रग्स जब्त की गई। वहीं, हेरोइन से जुड़े 28 और कोकीन से जुड़े 12 मामले दर्ज किए गए। क्रमश: 40 और 18 लोगों को गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने 7.41 करोड़ रुपये की हेरोइन और 12.33 करोड़ रुपये की कोकीन जब्त की है।
पिछले दो सालों में मुंबई पुलिस ने 2,635 किलोग्राम एमडी जब्त की है, जिसकी कीमत 5,243 करोड़ और 67 लाख रुपये है। इस कार्रवाई में नासिक, सोलापुर, नालासोपारा, कोल्हापुर में एक-एक और गुजरात में एमडी बनाने वाली दो फैक्ट्रियों को नष्ट किया गया। यह अब तक की रिकॉर्ड कार्रवाई है। मुंबई पुलिस ने इन दो सालों में एमडी की तस्करी और बिक्री से जुड़े 495 मामले दर्ज किए हैं। इन अपराधों में कुल 718 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।
2018 में मुंबई पुलिस ने 3 करोड़ रुपये, 2019 में 5 करोड़ 21 लाख रुपये, 2021 में 32 करोड़ 29 लाख रुपये की एमडी जब्त की है। इस बीच, 2010 से एमडी की बिक्री में जबरदस्त वृद्धि हुई थी। लेकिन इसे भारत में प्रतिबंधित घोषित नहीं किया गया था। इस वजह से पुलिस के लिए कार्रवाई करना मुश्किल हो रहा था। इसलिए पुलिस ने आईपीसी की धारा 328 के तहत एमडी विक्रेताओं के खिलाफ कार्रवाई शुरू की।
धारा 328 का मतलब जहर की आपूर्ति या बिक्री है। इसलिए विक्रेताओं के खिलाफ अस्थायी कार्रवाई की जा रही थी। लेकिन अदालत में अपराध साबित नहीं हुआ। अंत में, 2014-15 के बीच एंटी नारकोटिक्स स्क्वॉड में काम करने वाले तत्कालीन पुलिस अधिकारी सुहास गोखले की पहल पर एमडी को मादक दवा घोषित करने का प्रस्ताव रखा गया।
उसे केंद्र को भेजा गया। इसके बाद फरवरी 2015 में एमडी को नारकोटिक्स कंट्रोल एक्ट के तहत मादक दवा घोषित कर दिया गया।
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