सिटी लिमोजिन घोटाला: एक ऐसा घोटाला, जिसमें हुआ घोटाले में घोटाला


सिटी लिमोजिन घोटाला: एक ऐसा घोटाला, जिसमें हुआ घोटाले में घोटाला
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'सिटी लिमोजिन' चिटफंड घोटाले में नकली डॉक्यूमेंट जमा करके कई निवेशकों को फंसाने के मामले में 29 लोगों के खिलाफ आजाद मैदान पुलिस स्टेशन ने एफआईआर दर्ज की थी। इस मामले में पुलिस ने जब और भी जांच किया तो उन्हें अनेक फर्जी निवेशकों के होने की बात सामने आई। उसी मामले में पुलिस ने हाल ही में विकास म्हेत्रे और विलास दलवी नामके दो लोगों को गिरफ्तार किया, साथ ही इस मामले में आरोपियों की मदद करने पर कोर्ट ने दो पुलिस वाले सिपाही गोपाल बागुल और संतोष चव्हाण के साथ एक क्लर्क केशव सातपुते को भी हिरासत में लिया था।  

क्या था मामला?

2010 में 'सिटी लिमोजिन' कंपनी का लगभग 385 करोड़ रूपये का चिटफंड घोटाला सामने आया था। इस कंपनी ने देशभर में 70 हजार से अधिक निवेशकों से पैसे लगवाए थे। घोटाले के सामने आने के बाद महनगर दंडाधिकारी ने आरोपियों की प्रॉपर्टी बेच कर निवेशकों के पैसे चुकाने का आदेश दिया था। कोर्ट ने 2012 तक सभी निवेशकों के पैसे लौटने का आदेश दिया था।

जिसके बाद पहले चरण में 20 हजार निवेशकों को अपने अपने डॉक्युमेंट जमा करने का नोटिस भेजा गया, लेकिन अनेक ऐसे भी निवेशक थे जिनके पते सही मिल पाएं। इसी का फायदा उठा कर दलाल रामदास यादव ने फर्जी निवेशकों की लिस्ट बना कर अधिकारियों के पास जमा कराया था। लेकिन पैसे मिलने में देरी के चलते यादव बार बार अधिकारियों से शिकायत करता।

यादव ने फर्जी लिस्ट जमा की है इस बात की सबसे पहले भनक क्लर्क सातपुते और सिपाही गोपाल और संतोष को लगी। तीनों ने यादव को पूछताछ के लिए बुलाया। पोल खुल जाने के बाद यादव ने तीनों को उनका हिस्सा देने का लालच दिया जिसके बाद तीनों मान गए। यादव ने इन तीनों की सहायता से कुल 26 लोगों की फर्जी लिस्ट बनाई थी जिसके बदले उसे 22 हजार रूपये मिलने थे।

लेकिन समय रहते इन चारों की पोल पुलिस जांच में खुल गयी और कोर्ट ने चारों के खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश दिए।कोर्ट के आदेश के बाद आजाद मैदान पुलिस ने इन चारों के खिलाफ 2017 में केस दर्ज किया और 25 अगस्त को पुलिस ने विकास म्हेत्रे और विलास दलवी नामके दो फर्जी निवेशकों को गिरफ्तार किया।

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