ई-चालान से दंड वसूली के आंकड़ें में आई कमी


ई-चालान से दंड वसूली के आंकड़ें में आई कमी
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ट्रैफिक पुलिस में बढ़ते भ्रष्टाचार को देखते हुए सरकार की तरफ से दंड वसूलने के लिए ई-चालान मशीन उपलब्ध कराई गयी थी। इसका आशय था कि कम्यूटरीकृत पद्धति से दंड वसूलने पर भ्रष्टाचार पर लगाम भी लगेगी और इससे कैशलेश व्यवहार को बढ़ावा भी मिलेगा। लेकिन सरकार की यह योजना फेल हो गयी, क्योंकि जनवरी 2017 से दिसंबर 2017 तक कुल 19 लाख चालान कटे जिसमें से मात्र 8 लाख वाहनधारकों ने ही ई-चालान से दंड भरा।


ई-चालान को मिला नकारात्मक प्रतिसाद

अकसर ट्रैफिक पुलिस कर्मचारियों पर ट्रैफिक नियम तोड़ने के आरोप पर 'कुछ ले दे कर' छोड़ देने का आरोप लगता रहता है। सरकार को इस बारे में कई शिकायतें भी मिली थीं, इन पर लगाम लगाने के लिए इन्हे डिजिटल ई-चालान मशीने उपलब्ध कराई गईं। लेकिन इसे शुरू करने के बाद कई सारी दुश्वारियां सामने आईं। मुंबई में हर दिन 6 हजार ई-चालान से शिकायतें दर्ज होती हैं। पिछले साल 10 लाख 65 हजार 268 लोगों द्वारा दंड नहीं भरने के कारण ट्रैफिक विभाग को लगभग 27 करोड़ 22 लाख रूपये का आर्थिक नुक्सान हुआ था।


 25 फीसदी की कमी 

हर साल दंड से ट्रैफिक विभाग 25 करोड़ रूपये दंड से ही वसूल करती है, लेकिन आरटीआई के द्वारा मिली जानकारी के मुताबिक़ जब से ई-चालान सिस्टम लागू हुआ तब से दंड वसूल करने में 25 फीसदी कमी आई है।


घर जाकर भी दंड वसूल करेगी पुलिस

ट्रैफिक विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि वाहन चालकों पर नजर रखने के लिए सिंगलों पर सीसीटीवी भी लगाए गए। नियम तोड़ने वालों से दंड भी वसूला गया, लेकिन ई-चालान के द्वारा दंड वसूल करने का अच्छा प्रतिसाद नहीं मिला। इसीलिए अब इस पद्धति को बदलने का विचार किया जा रहा है। 15 दिनों में दंड नहीं भरे जाने के बाद से हर दिन के लिए 10 रुपया अलग से वसूल किया जायेगा। अगर किसी ने गंभीर नियम का उल्लंघन किया है तो पुलिस उसके घर भी जाकर उससे दंड वसूल कर सकती है।


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