किसी महिला या बच्ची को बुरी नजर से देखा तो खैर नहीं, उद्धव सरकार ने बनाया 'शक्ति कानून'

इस कानून के तहत 21 दिनों के अंदर ही महिलाओ और बच्चों के साथ अत्याचार करने वाले पर कारवाई होगी, साथ ही इस कानून में फांसी का भी प्रावधान रखा गया है।

किसी महिला या बच्ची को बुरी नजर से देखा तो खैर नहीं, उद्धव सरकार ने बनाया 'शक्ति कानून'
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महाराष्ट्र (maharashtra) में महिलाओं और बच्चियों के साथ बढ़ते अत्याचार के मामले को देखते हुए उद्धव ठाकरे (uddhav thackeray) की कैबिनेट ने 'शक्ति कानून' (shakti bill) को मंजूरी दे दी है। इस कानून के तहत 21 दिनों के अंदर ही महिलाओ और बच्चों के साथ अत्याचार करने वाले पर कारवाई होगी, साथ ही इस कानून में फांसी का भी प्रावधान रखा गया है। महिला और बच्चों पर होने वाले अत्याचार को गंभीरता से लेते हुए महाराष्ट्र सरकार ने आंध्र प्रदेश के 'दिशा' कानून की तर्ज पर 'शक्ति' कानून का ड्राफ़्ट तैयार किया है। 

शक्ति बिल का पूरा नाम special court and machinery for the implementation of shakti act 2020 है। जिसका नाम स्पेशल कोर्ट एंड मशीनरी फोर द इम्पलेमेंटेशन ऑफ शक्ति एक्ट 2020 है।

बताया जा रहा है कि, आगामी 14 और 15 दिसंबर को होने वाले विधानसभा सत्र में इस बिल पर चर्चा कर इसे क़ानून का स्वरूप दिया जाएगा। फिर इसे केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा, और वहां से मंजूरी मिलते ही यह बिल कानून की शक्ल अख्तियार कर लेगा।

इस बिल को लेकर गृह मंत्री अनिल देशमुख (anil deshmukh) ने कहा है कि आरोपी को शक्ति अधिनियम के तहत दो साल की सजा होगी।  शक्ति अधिनियम के बारे में अधिक जानकारी देते हुए, अनिल देशमुख ने कहा, इस अधिनियम के तहत, अभियुक्त को 2 साल की सजा होगी।  जो भी महिला की फोटो सोशल मीडिया (social media)पर गलत तरीके से पोस्ट करेगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। साथ ही अगर कोई महिला किसी के खिलाफ झूठी शिकायत दर्ज कराती है, तो उसे भी 2 साल की सजा होगी।

2 दिसंबर को हुई कैबिनेट बैठक में शक्ति अधिनियम के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। बैठक में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे उपस्थित थे। शक्ति अधिनियम के तहत महिलाओं और बच्चों पर अत्याचार को रोकने के लिए निर्णय लिया गया था।  

शक्ति एक्ट 2020 बिल में क्या है प्रावधान...

शक्ति बिल में दोषियों के लिए बेहद मौत की सजा का भी प्रावधान है। बेहद गंभीर अपराध की जांच के लिए 15 दिन की समय सीमा रखी गई है, लेकिन आपात स्थितियों में इस जांच को सात दिन बढ़ाए जा सकता है।

इस एक्ट में चार्जशीट दाखिल होने के बाद कोर्ट की सुनवाई प्रतिदिन होगी और सुनवाई 30 दिनों में पूरी हो जाएगी। साथ ही कोर्ट से सजा सुनाए जाने के 45 दिन के भीतर फाइल पूरी कर ली जाएगी। पहले इसके लिए 6 महीने की समय सीमा तय की गई थी।

इस एक्ट के अंतर्गत यह प्रस्ताव है कि, पीड़िता को जल्द से जल्द न्याय दिलाने के लिए स्पेशल कोर्ट, विशेष पुलिस टीम होगी। पीड़ित महिला और बच्चों की सहूलियत और सुविधा के लिए विशेष संस्था का गठन किया जाएगा। एसिड अटैक (acid attack) के मामलों में धारा गैर जमानती होगी, जिसमें सजा का प्रावधान कम से कम 10 साल से कम का नहीं होगा।

एसिड अटैक में पीड़िता को 100 लाख रुपये तक का मुआवजा पाने का अधिकार होगा, जो कि पीड़िता के प्लास्टिक सर्जरी और अन्य खर्चे के लिए होगा। इस प्रस्ताव में गैंग रेप (gang rape) और रेप (rape) जैसे अपराधों को भी जोड़ा गया है, जिसमें 16 साल से कम उम्र की महिला के साथ रेप के मामले में 12 साल की सजा का प्रावधान है।

अगर कोई व्यक्ति सोशल मीडिया या अन्य किसी संचार के माध्यम से किसी महिला के साथ दुर्व्यवहार या शोषण करता है तो इस अपराध के लिए 2 साल तक की सजा और एक लाख रुपये का जुर्माने का प्रावधान तय किया गया है।

सोशल मीडिया के साथ-साथ टेलीफोन या अन्य डिजिटल माध्यम के द्वारा किसी महिला को प्रताड़ना, आपत्तिजनक टिप्पणी और धमकी देने के मामलों में केस दर्ज किया जाएगा, जिसमें 2 साल तक की सजा का प्रावधान है।

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