इस साल 18 नवंबर को शनि अमावस्या पड़ रहा है। माना जाता है इस दिन शनि देव की पूजा करने से कई बिगड़े काम बन जाते है और आनेवाली परेशानियां भी कम हो जाती है। शनि अमावस्या का ग्रंथो और पूराणों में काफी महत्तव है। इस दिन पूजा करने से शनि भगवान प्रसन्न हो जाते है और कूंडली दोष भी दूर हो जाता है। यही नहीं, इस दिन विशाखा नक्षत्र भी है।
दोषों से मिलती है मुक्ति
शनि अमावश्या के दिन शनि देव की पूजा करने से दोषों से मुक्ति मिलती है। शनि अमावस्या को साढ़े-साती, ढैय्या और कालसर्प योग से मुक्ति खास माना जाता है। इस दिन व्रत रखने और शनि देव की अराधना करना साफी महत्तवपूर्ण माना जाता है।
कैसे रखें व्रत
- व्रत के दौरान फल, दूध और लस्सी का सेवन किया जा सकता है।
- काले उड़द की खिचड़ी में काला नमक मिलाकर लेना शुभ माना जाता है।
- व्रत में काली उड़द की दाल का मीठा हलवा भी ग्रहण किया जाता है।
क्या है पूजा की विधी
- शनि अमावस्या की शाम को काल में पीपल वृक्ष के चारों ओर 7 बार कच्चा सूत लपेटें
- लपेटते समय शनि के बीज मंत्र का उच्चारण जरुर करें
- पीपल की जड़ में तेल का दीपक जलाएं और शनि देव से पापों के लिए क्षमा मांगें।
- किसी भी शनि मंदिर में काले तिल, काले उड़द, कली राई, काले वस्त्र, लोहे के पात्र और गुड़ दान करें
- काले घोड़े की नाल और नाव की कील का रिंग बनाकर बीच की उंगली में उसे पहनें
- शाम के समय हनुमान जी और बटुक भैरव का दर्शन करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।