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कविता के माध्यम से कोविड-19 को लेकर जागरूक करती है एनीमेशन सीरीज 'हास्य कवि पोटलीवाला'

कैंपेन के लिए, पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया ने कोविड 19 महामारी से संबंधित अहम मुद्दों पर शॉर्ट एनीमेशन फिल्म्स की एक सीरीज तैयार की है।

कविता के माध्यम से कोविड-19 को लेकर जागरूक करती है एनीमेशन सीरीज 'हास्य कवि पोटलीवाला'
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कोविड 19 महामारी को लेकर प्रामाणिक, विश्वसनीय और अपडेटेड कम्युनिकेशन मैटेरियल्स (नई-नई जानकारियां) तैयार करने के लिए राष्ट्रीय स्तर के अभियान (कैंपेन) के तहत, पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया ने भारत सरकार और फेसबुक के साथ हाथ मिलाया है। इस अभियान का मकसद महामारी को लेकर अनेक भाषाओं में विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर, राज्य सरकारों और गैर सरकारी संगठनों के बीच जागरूकता फैलाना है।

कैंपेन के लिए, पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया ने कोविड 19 महामारी से संबंधित अहम मुद्दों पर शॉर्ट एनीमेशन फिल्म्स की एक सीरीज तैयार की है। इन एनीमेशन शॉर्ट्स की पहली कड़ी है 'हास्य कवि पोटलीवाला' जो बाई-वीकली (सप्ताह में दो बार दिखाई जाने वाली) एनीमेशन सीरीज है। इस सीरीज के निर्माता जाने-माने थिएटर और फिल्म निर्देशक फिरोज अब्बास खान हैं।

फिरोज अब्बास खान ने बताया की 'हास्य कवि पोटलीवाला' सीरीज का उद्देश्य "हास्य, कविता और तुरंत पसंद किए जाने वाले चरित्र के माध्यम से व्यवहार परिवर्तन करना है।" 

इस एनीमेशन सीरीज को माईगव (MyGov) के कोविड 19 प्लेटफॉर्म पर लॉन्च किया गया था। सीरीज में पोटलीवाला नाम के एक कवि को दिखाया गया है जो हर फिल्म में कोविड 19 से संबंधित मुद्दों पर छोटी-छोटी कविता का पाठ करता है। जो मास्क पहनने, सामाजिक दूरी बनाए रखने, सावधानियां बरतने और भेदभाव से संबंधित हैं। सीरीज में प्रभावशाली और मनोरंजक तरीके से संदेश को साझा करने के लिए एंटरटेनमेंट एजुकेशन का इस्तेमाल किया गया है।

इस बार में बताते हुए पॉपुलेशन फ़ाउंडेशन ऑफ़ इंडिया की कार्यकारी निदेशक, पूनम मुत्तरेजा कहती हैं, “सोशल मीडिया पर सूचनाओं की भरमार है। उनमें सच और झूठ का विभेद करना बेहद मुश्किल है। पीएफआई ने अतीत में महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए मनोरंजक शोज के माध्यम से विहैवियर चेंज स्ट्रेटजीज (व्यवहार परिवर्तन रणनीतियों) पर काम किया है। हमने महसूस किया कि ऐसे कठिन समय में हमें खुद को सशक्त बनाने के लिए सही जानकारी की जरूरत है। साथ ही इस मुश्किल वक्त से पार पाने के लिए कुछ हास-परिहास की भी आवश्यकता है। हास्य कवि पोटलीवाला दोनों जरूरतों को पूरा करने की एक कोशिश है। ”

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