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मगरमच्छ और कछुओं पर मंडरा सकता है खतरा, पवई लेक के किनारे बनने वाले साइकिल ट्रैक का विरोध शुरू

स्थानीय निवासियों को लगता है कि यह निर्माण पर्यावरण के लिए न केवल हानिकारक है, बल्कि पवई लेक के बायोडाइवर्सिटी पर भी इसका बुरा असर पड़ेगा।

मगरमच्छ और कछुओं पर मंडरा सकता है खतरा, पवई लेक के किनारे बनने वाले साइकिल ट्रैक का विरोध शुरू
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पवई वासियों ने महाराष्‍ट्र के मुख्‍यमंत्री उद्धव ठाकरे (uddhav thackeray) को पत्र लिखकर पवई तालाब (powai lack) किनारे साइकिल ट्रैक (cycle track) के निर्माण का विरोध किया है। इस ट्रैक के निर्माण में कुछ हिस्सा तालाब का भी लिया जाना है। स्थानीय निवासियों को लगता है कि यह निर्माण पर्यावरण के लिए न केवल हानिकारक है, बल्कि पवई लेक के बायोडाइवर्सिटी पर भी इसका बुरा असर पड़ेगा।

इस बारे में बात करते हुए, एक्शन फॉर गुड गवर्नेंस एंड नेटवर्किंग इन इंडिया (AGNI) के लिए एस-वार्ड समन्वयक, और सामाजिक कार्यकर्ता पामेला चीमा ने कहा कि, इस लेक में मछलियों के अलावा मगरमच्छ भी मौजूद हैं जो किनारे पर अंडा देते हैं। अगर किनारों से छेड़छाड़ की गई तो इसका असर उन पर भी पड़ेगा, इसलिए लोग चाहते हैं के इस लेक के साथ किसी भी प्रकार का छेड़छाड़ नहीं किया जाए।

चीमा ने आगे कहा, पवई लेक में मगरमच्छ हैं, हिरण और तेंदुओं का आना जाना होता है, यहां किनारों पर मगरमच्छ और कछुए अंडे देते हैं, साथ ही मछुआरे इस जगह को मगर अड्डा कहते हैं, वो हमेशा वहां रहते हैं।'

स्थानीय लोगों का मानना है कि साइकिल ट्रैक का निर्माण करना प्रकृति के खिलाफ है। इसलिए, उन्होंने सीएम को पत्र लिखकर साइकिल ट्रैक का काम रद्द करने का निवेदन किया है।

पत्र में कहा गया है कि, यहां तीनों झीलें - तुलसी, विहार और पवई पारिस्थितिकी तंत्र का हिस्सा हैं। इनका पानी एक-दूसरे में बह कर आता जाता हैं, पवई झील का भी पानी बह कर मीठी नदी में जाता है। अब यदि साइकिल ट्रैक बना कर इसका आकार छोटा कर दिया जाता है, तो इससे शहर में बाढ़ आने का खतरा बढ़ जाएगा।

NDTV के मुताबिक, एक पर्यावरण प्रेमी का कहना है, 'हमें पवई लेक में साइक्लिंग ट्रैक की ज़रूरत नहीं है। आपको ज़रूरत है तो गड्ढे भरिये, सड़क किनारे साइक्लिंग ट्रैक बनाइये। पवई आरे जंगल से सटा हुआ इलाका है. साइक्लिंग ट्रैक का असर पर्यावरण के साथ ही कई आदिवासी मछुआरों पर पड़ेगा।'

इससे पहले, मुंबई में पर्यावरणविदों ने पवई झील के किनारे जॉगिंग और साइकिलिंग ट्रैक के लिए 'काम बंद करो' के खिलाफ रविवार को विरोध प्रदर्शन भी किया था।

स्थानीय लोगों ने कहा है कि पवई में रहने वाले लोगों और इस तालाब से जुड़े लोगों से किसी भी प्रकार से बात नहीं किया जाता और न ही उनसे विचार और उनकी आपत्ति को ध्यान में नहीं रखा जाता है। इसके अलावा, साइकिल ट्रैक के लिए, कोई पर्यावरण प्रभाव आकलन नहीं किया गया था।

बता दें कि साल 2019 चुनाव से पहले सत्ताधीन पार्टी शिवसेना (shiv sena) ने ही आरे जंगल (aaray jungle) में पर्यावरण बचाने का मुद्दा उठाया था। और अब ऐसे में पार्टी की ओर से उठाए गए इस कदम पर सवाल उठ रहे हैं।

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