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साल 2050 तक भारत के कई बड़े शहर झेल सकते हैं पानी की समस्या

अगर इन शहरों में अभी से ही पानी के नियोजन (water planing) को लेकर कुछ प्रभावी कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले समय में स्थिति काफी विकट हो सकती है। हालांकि ऐसा नहीं है कि, यह समस्या केवल भारत के सामने ही है।

साल 2050 तक भारत के कई बड़े शहर झेल सकते हैं पानी की समस्या
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विश्व वन्यजीव कोष (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) ने पानी (water) को लेकर भारत (india= के लिए चिंता कर देने वाली रिपोर्ट पेश की है। 

रिपोर्ट के अनुसार, साल 2050 तक भारत के 30 बड़े शहरों में रहने वाले लोग पानी की समस्या का सामना कर सकते हैं। इन शहरों में मुंबई, कोलकाता, जयपुर, अमृतसर और कोझीकोड जैसे शहर शामिल हैं। अगर इन शहरों में अभी से ही पानी के नियोजन (water planing) को लेकर कुछ प्रभावी कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले समय में स्थिति काफी विकट हो सकती है। हालांकि ऐसा नहीं है कि, यह समस्या केवल भारत के सामने ही है।

भारतीय शहरों के अलावा, दुनिया भर में कुछ शहर और भी हैं, जो इसी समस्या से गुजर सकते हैं। जिनमें चीन के बीजिंग शहर के अलावा चीन के ही लगभग आधे शहर शामिल हैं। इसके बाद जकार्ता, जोहान्सबर्ग, इस्तांबुल, हांगकांग, मक्का और रियो डी जेनेरियो जैसे शहर इसमें शामिल हैं।

वर्तमान समय में दुनिया भर में पानी का संकट (water crisis) एक गंभीर मुद्दा बन गया है। रिपोर्टों के अनुसार, विश्व की लगभग एक चौथाई फीसदी जनसंख्या साफ पानी पीने से वंचित है, जबकि 40 फीसदी जनसंख्या के पास खुद का शौचालय नहीं है।

डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के अनुसार, 2050 तक पानी के खतरे से विश्व के लगभग 100 शहर प्रभावित होंगे। इन 100 शहरों में शहर की 35 फीसदी जनसंख्या रहती है। इतनी बड़ी जनसंख्या किसी भी देश की आर्थिक और राजनीतिक उद्देश्यों को पूरा भी कर सकती है या पलट भी सकती है।

इस समस्याओं के लिए जिन वजहों को गिनाया जाता है, उसमें जलवायु परिवर्तन (climate change) और ग्लोबल वार्मिंग (global warming) की समस्या, भारत सरकार द्वारा की गई स्मार्ट सिटी (smart city) परियोजना, पेड़ों की अंधाधुंध कटाई, कंक्रीट के जंगलों से बढ़ता शहरीकरण, भूमिगत जल का अनुचित और असीमित दोहन, पानी की नियोजन में सरकारी और प्रशासनिक इच्छाओं की कमी जैसे अन्य बहुत से कारण है।

हालांकि, आने वाले समय में, अगर इस समस्या  को सुलझाने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए गए तो देश और दुनिया को बड़े पैमाने पर, सबसे बड़ी आपदा का सामना करना पड़ सकता है।

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