मिश्र के मुताबिक इस दिन पीले वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है। इस दिन विवाह से लकर अन्य मांगलिक कार्यक्रम संपन्न किए जाते हैं। साथ ही स्कूल और कॉलेजों में सरस्वती की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी मनाया जाता है। माना जाता है कि बसंत पंचमी के दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती का प्राकट्य हुआ था। इसलिए इसे देवी सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।
ज्योतिषाचार्य अशोक मिश्र के अनुसार चतुर्थी शनिवार राम को समाप्त हो रही है और इसके बाद पंचमी लग जाएगी, यानी पंचमी शनिवार शाम को ही लग जाएगी जो रविवार तक रहेगी, चूँकि हिंदू धर्म के अनुसार जिस तारीख में सूर्य उदय होते हैं उसी तारीख को माना जाता है, तो इसीलिए पंचमी रविवार को ही मानी जाएगी।
कुछ विद्वानो के अनुसार पंचमी 9 फरवरी की दोपहर को 12 बजकर 25 मिनट से शुरू हो रही है। इसके बाद अगले दिन 10 फरवरी यानी रविवार को दोपहर 2 बजकर 8 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। लेकिन ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक सूर्योदय कालीन मान्यतानुसार 10 फरवरी को ही सूर्योदय काल से दोपहर तक स्नान-दान, हवन एवं पूजन-पाठ आदि किया जाना चाहिए।
मिश्र के मुताबिक इस दिन पीले वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है। इस दिन विवाह से लकर अन्य मांगलिक कार्यक्रम संपन्न किए जाते हैं। साथ ही स्कूल और कॉलेजों में सरस्वती की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
निम्न राशि वाले व्यक्ति पंचमी के दिन दिए गये मंत्र का जाप कर सकते हैं.
मेष : ॐ शारदैय नम:
वृषभ : ॐ अनुराधाय नम:,
मिथुन : ॐ ज्ञानदायिनी नम:
कर्क : ॐ पुस्तकधारिणी नम:
सिंह- : ॐ भयहारिणी नम:
कन्या- : ॐ मातृरूपेण नम: तुला- : ॐ सरस्वते नम:
वृश्चिक- : ॐ विद्यारूपेण नम:
धनु : ॐ मंत्ररूपेण नम:
मकर : ॐ हंसवाहिनी नम:
कुंभ : ॐ जीवनदायिनी नम:
मीन : ॐ बह्म ज्ञायिनी नम:
कोई भी व्यक्ति बसंत पंचमी पर इस विशेष मंत्र जाप करता है तो उसे अनन्य फल की प्राप्ति होती है।
मंत्र : 'ॐ वीणावादिनी विद्महे ज्ञानदायिनी च धीमहि तन्नो शारदैय प्रचोदयात।।'
ज्योतिषाचार्य अशोक मिश्र के अनुसार चतुर्थी शनिवार राम को समाप्त हो रही है और इसके बाद पंचमी लग जाएगी, यानी पंचमी शनिवार शाम को ही लग जाएगी जो रविवार तक रहेगी, चूँकि हिंदू धर्म के अनुसार जिस तारीख में सूर्य उदय होते हैं उसी तारीख को माना जाता है, तो इसीलिए पंचमी रविवार को ही मानी जाएगी।
कुछ विद्वानो के अनुसार पंचमी 9 फरवरी की दोपहर को 12 बजकर 25 मिनट से शुरू हो रही है। इसके बाद अगले दिन 10 फरवरी यानी रविवार को दोपहर 2 बजकर 8 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। लेकिन ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक सूर्योदय कालीन मान्यतानुसार 10 फरवरी को ही सूर्योदय काल से दोपहर तक स्नान-दान, हवन एवं पूजन-पाठ आदि किया जाना चाहिए।
मिश्र के मुताबिक इस दिन पीले वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है। इस दिन विवाह से लकर अन्य मांगलिक कार्यक्रम संपन्न किए जाते हैं। साथ ही स्कूल और कॉलेजों में सरस्वती की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
निम्न राशि वाले व्यक्ति पंचमी के दिन दिए गये मंत्र का जाप कर सकते हैं.
मेष : ॐ शारदैय नम:
वृषभ : ॐ अनुराधाय नम:,
मिथुन : ॐ ज्ञानदायिनी नम:
कर्क : ॐ पुस्तकधारिणी नम:
सिंह- : ॐ भयहारिणी नम:
कन्या- : ॐ मातृरूपेण नम:
तुला- : ॐ सरस्वते नम:
वृश्चिक- : ॐ विद्यारूपेण नम:
धनु : ॐ मंत्ररूपेण नम:
मकर : ॐ हंसवाहिनी नम:
कुंभ : ॐ जीवनदायिनी नम:
मीन : ॐ बह्म ज्ञायिनी नम:
कोई भी व्यक्ति बसंत पंचमी पर इस विशेष मंत्र जाप करता है तो उसे अनन्य फल की प्राप्ति होती है।
मंत्र : 'ॐ वीणावादिनी विद्महे ज्ञानदायिनी च धीमहि तन्नो शारदैय प्रचोदयात।।'