भगवान सूर्य की आराधना का चार दिवसीय महापर्व छठ पूजा कोरोना (Coronapandemic) काल में आज यानी बुधवार से शुरू हो गया। व्रतियों ने छठ पूजा (chhath pooja) के पहले दिन की शुरुआत नहाय खाय से की।
नहाय—खाय के अगले दिन यानि गुुरुवार को व्रतियों द्वारा निर्जला उपवास रखकर खरना किया जाएगा। खरना में दूध, अरवा चावल व गुड़ से बनी खीर एवं रोटी का भोग सूर्य भगवान को लगाया जाता है। खरना के बाद व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपावास शुरू हो जाएगा जो कि 20 नवंबर की शाम को डूबते हुए सूर्य और 21 नवंबर को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पारण के साथ पूरा होगा।
चूंकि मुंबई (mumbai) और MMR में स्थानीय प्रशासन ने कोरोना (Covid19) को देखते हुए सार्वजनिक जलाशयों के किनारे पूजा करने पर रोक लगा दी है। इसे देखते हुए व्रतियों ने अपने घर के बाहर या मैदान में डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर नहाय—खाय की रस्म पूरी की। नहाय—खाय के दौरान व्रती अरवा चावल का भात, चने की दाल, कद्दू की सब्जी और धनिया के पत्ते की चटनी का भोग लगाते हैं।
वर्तमान में कोविड संक्रमण के दौरान छठ पूजा को लेकर स्थानीय प्रशासन ने सभी व्रतियों से यथासंभव अपने घर पर ही छठ पूजा का आयोजन करने की अपील की है। साथ ही एहतियात के तौर पर लोगों को आवश्यक कोरोना प्रोटोकॉल को फॉलो करने की सलाह दी है।
इस दौरान प्रशासन की तरफ से समुद्र के किनारे, नदियों, तालाबों और झीलों के किनारे एकत्र होकर छठ पूजा मनाने पर रोक लगा दी है।
साथ ही घर पर ही लोगों को छठ पूजा मनाने की अपील की है। इसके अलावा छठ व्रत के दौरान प्रत्येक व्यक्ति को मास्क पहनने, सोशल डिस्टेंस का पालन करने की अनिवार्य रूप से सलाह दी है।
कोरोना को देखते हुए कई संगठनों द्वारा छठ पूजा के कार्यक्रम को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी उपलब्ध कराया है, जिसे लोग ऑनलाइन भी देख सकते हैं।