Advertisement

नवरात्रि का पहला दिन : महिलाओं को जरुर करनी चाहिए माता 'शैलपुत्री' की पूजा


नवरात्रि का पहला दिन : महिलाओं को जरुर करनी चाहिए माता 'शैलपुत्री' की पूजा
SHARES

9 रातों का पर्व यानी नवरात्रि 21 सितंबर से शुरू हो गया। नवरात्रि के दौरान शक्ति की देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। दसवां दिन दशहरा होता है और इसी दिन पाप के प्रतिक रावण को जलाया जाता है। नवरात्रि के इन 9 दिनों में 9 देवियों की पूजा की जाती है। ये 9 देवियाँ और इनके अर्थ इस प्रकार है-

शैलपुत्री - पहाड़ों की पुत्री  
ब्रह्मचारिणी -  ब्रह्मचारीणी
चंद्रघंटा - चाँद की तरह चमकने वाली
कूष्माण्डा - पूरा जगत उनके पैर में है
स्कंदमाता -  कार्तिक स्वामी की माता
कात्यायनी -   कात्यायन आश्रम में जन्मी

कालरात्रि - काल का नाश करने वाली मां
महागौरी -  सफेद रंग वाली मां
सिद्धिदात्री -  मनोकामना पूरी करने वाली मां 

जैसा की सभी जानते हैं शक्ति की देवी यानी दुर्गा के नौ रूप होते हैं। इनका पहला स्वरूप 'शैलपुत्री' के नाम से जानी जाती हैं। ये ही नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं। पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम 'शैलपुत्री' पड़ा। नवरात्र-पूजन में प्रथम दिवस इन्हीं की पूजा और उपासना की जाती है।

मां शैलपुत्री की उत्पत्ति की कहानी-

वेदों में वर्णीत कथा के अनुसार मां शैलपुत्री पूर्वजन्म में प्रजापति दक्षराज की बेटी थीं और तब उनका नाम सती था। इन्होने अपने पिता की आज्ञा के विरुद्ध भगवान शंकर से विवाह किया था। एक बार इनके पिता दक्षराज ने विशाल यज्ञ का आयोजन किया। जिसमें सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया, लेकिन दक्षराज शंकर जी को नहीं बुलाया था। बावजूद इसके सती शंकर की अनुमति लेकर अपने पिता के कार्यक्रम में गयी, लेकिन वहां सती को अपनी बहनों और पिता द्वारा अपमान सहना पड़ा। दक्षराज ने भगवान शंकर के बारे में काफी अपमानजनक टिप्पणी भी की। देवी सती अपने पति भगवान शंकर का अपमान सहन नहीं कर पाईं। उसके बाद उन्होंने वहीं यज्ञ की वेदी में कूद कर अपने प्राण त्याग दिए। यह सुन कर शंकर जो की काफी दुःख पहुंचा और उन्होंने अपने गणों को भजकर यज को तहस नहस करवा दिया। अगले जन्म में देवी सती शैलराज हिमालय की पुत्री बनीं और शैलपुत्री के नाम से जानी गईं। जगत-कल्याण के लिए इस जन्म में भी उनका विवाह भगवान शंकर से ही हुआ। पार्वती और हेमवती उनके ही दुसरे नाम हैं।

शैलपुत्री उपासना मंत्र-
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥

देवी शैलपुत्री का भोग 
देवी शैलपुत्री के चरणों में गाय का घी चढ़ाने से भक्तों को आरोग्य का आशीर्वाद मिलता है और उनका मन एवं शरीर दोनों ही निरोगी रहता है।

महिलाओं पर है विशेष कृपा 
मां शैलपुत्री को अखंड सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।जीवन में स्थिरता और शक्ति की पूर्ति के लिए मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। महिलाओं को मां शैलपुत्री की पूजा करना काफी शुभ माना गया है।


डाउनलोड करें Mumbai live APP और रहें हर छोटी बड़ी खबर से अपडेट।

मुंबई से जुड़ी हर खबर की ताज़ा अपडेट पाने के लिए Mumbai live के फ़ेसबुक पेज को लाइक करें।

(नीचे दिए गये कमेंट बॉक्स में जाकर स्टोरी पर अपनी प्रतिक्रिया दें) 

संबंधित विषय
Advertisement
मुंबई लाइव की लेटेस्ट न्यूज़ को जानने के लिए अभी सब्सक्राइब करें